लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिसवां विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामपाल यादव की जियामऊ स्थित बहुमंजिली इमारत के ध्वस्त कराने के अब उन्हें समाजवादी पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया है। उन पर अवैधानिक कार्यो में संलिप्त होने और पार्टी की छवि खराब करने का इल्जाम है। कुछ माह के अंदर रामपाल दूसरी बार समाजवादी पार्टी से निष्कासित हुए हैं। सपा में अब उनकी वापसी मुश्किल होगी।

लखनऊ प्रशासन और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने आज अचानक रामपाल यादव की जियामऊ स्थित बहुमंजिली इमारत को ध्वस्त कर दिया था। ध्वस्तीकरण में लगे कर्मचारियों-अधिकारियों व विधायक समर्थकों के बीच मारपीट हुई थी। पुलिस ने विधायक  रामपाल यादव समेत नौ लोगों को बंदी बना लिया था। शुक्रवार को मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधायक रामपाल को सपा से निष्कासित कर दिया। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने एक बयान में विधायक पर अवैधानिक कार्यो में संलिप्त होने, भ्रष्टाचार करने और पार्टी की छवि खराब कराने का इल्जाम लगाया। चौधरी का कहना है कि समाजवादी पार्टी में कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। पूर्व में भी उन्हें चेतावनी दी जा चुकी थी।

ध्यान रहे, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के समय बिसवां से विधायक रामपाल यादव के नेतृत्व में पांच विधायकों ने ‘बगावत’ का झंडा उठा लिया था। जिस पर पार्टी ने दिसंबर 2015 में रामपाल समेत सभी बागी विधायकों को निलंबित कर दिया और जिलाध्यक्ष शमीम कौसर को पद से हटा दिया था। सपा सूत्रों का कहना है कि जिस अंदाज में रामपाल यादव के खिलाफ कार्रवाई हुई है, उससे अब उनकी समाजवादी पार्टी में वापसी की राह बेहद मुश्किल होगी। देर-सबेर उनके समर्थकों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी और सीतापुर जिले के कुछ विधायकों का सपा नेतृत्व टिकट भी काट सकता है। चर्चा है कि रामपाल व उनके समर्थकों ने दूसरे दलों के साथ नाता जोडऩे की पहल शुरू कर दी है।