नई दिल्ली। उद्योगपति विजय माल्या पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान माल्या के वकील ने कहा कि बैंकों का जोर लोन वापस लेने पर न होकर माल्या को जेल भेजने पर है। वहीं बैंकों की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि अगर माल्या भारत आना चाहते हैं तो सरकार उनके आने का इंतजाम कर सकती है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने माल्या की सारी संपत्ति का ब्यौरा बैंको को दिया। इसके साथ ही डेब्ट्स रिकवरी ट्रिब्यूनल को कहा कि दो महीने में इस मामले की निपटारा करें। सुनवाई के दौरान माल्या के वकील ने कहा कि बैंक माल्या को जेल भेजने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। उनकी रुचि लोन वापस लेने में नहीं है।

इस पर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो भगोड़े हैं। उनका पासपोर्ट रद्द हो चुका है। अगर वो वापस आने को तैयार हैं तो भारत सरकार उनके एक बार वापस आने का इंतजाम कर सकती है। अटार्नी जनरल बैंकों की तरफ से पेश हुए थे।

वहीं कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि विजय माल्या को दिखाकर उन लोगों से ध्यान हटाने की कोशिश हो रही है जो देश में पैसा लेकर बैठे हैं। राज्य सभा में एथिक्स कमेटी के चेयरमैन करन सिंह ने कहा कि माल्या चाहें जो दलील दें। हम तो अपना काम करेंगे।

उधर सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि एथिक्स कमेटी को ये अधिकार नहीं है कि व्यक्तिगत कार्यों की वजह से कार्रवाई करे। ये मीडिया ट्रायल के तहत कार्रवाई की जा रही है। इसके हिसाब से तो जिन सांसदों ने बैंक से लोन लेकर नहीं लौटाया है, उनकी सदस्यता खत्म होनी चाहिए। वहीं जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि विजय माल्या की सदस्यता रद्द करने का हम स्वागत करते हैं।