गर्मियों की छुट्टियों में जज मनाली नहीं जाते हैं संवैधानिक बेंच के फैसलों को लिखते हैं

नई दिल्ली: रविवार को चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने जजों की कम संख्या के मुद्दे को उठाया जिस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘कोर्ट की छुट्टियों’ में कटौती की सलाह दे डाली। इस पर जस्टिस ठाकुर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘गर्मियों की छुट्टियों के दौरान जज मनाली नहीं जाते हैं, वह संवैधानिक बेंच के फैसलों को लिखते हैं। जब एक साइड तैयार होता है तो दूसरा नहीं होता। बार से पूछिए क्या वह तैयार हैं।’

रविवार को मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने भावुक होकर पीएम मोदी से जजों की संख्या बढ़ाने की अपील की थी। उन्होंने पीएम से कहा था ‘यह देश के विकास के लिए है इसलिए मैं आपसे विनती करता हूं। आप पूरा बोझ न्यायपालिका पर नहीं डाल सकते। जजों की क्षमता की भी एक सीमा होती है।’ भारत में लंबित केस और जजों की संख्या पर सभागार में मौजूद लोगों का ध्यान खींचते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि भारत में एक जज साल में औसतन 2600 केस देखता है, वहीं अमेरिका में एक जज महज़ 81 केस सुनता है।