नई दिल्ली: “पांचवी- छठी क्लास में अर्थमैटिक में सवाल आता था कि अगर एक सड़क पांच आदमी 10 दिन में बनाते हैं तो एक दिन मे सड़क बनाने के लिए कितने आदमी चाहिए। जवाब होगा 50 आदमी।” CJI जस्टिस टीएस ठाकुर जजों की कमी और लाखों केसों के बोझ के लिए पीएम मोदी और राज्य के मुख्यमंत्रियों को पांचवी के गणित के सवाल का सहारा लेना पड़ा।

चीफ जस्टिस बोलते बोलते भावना में बह गए। आवाज भर्रा गई और आंखें नम हो गईं। लिहाजा उन्होंने आंखों को पोंछा और भर्राए गले से बोले कि और कुछ काम नहीं आए तो कम से कम ये इमोशलन अपील ही शायद काम आ जाए और सरकार जजों की संख्या बढ़ा दे। जस्टिस ठाकुर ने केंद्र के देश के कॉरपोरेट के लिए कमर्शल कोर्ट बनाने के प्रस्ताव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पुरानी बोतल में नई शराब नहीं चलेगी। दुबई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वह दुबई में ऐसी कोर्ट देखकर दंग रह गए। इतनी सुविधाएं दी गई हैं।

ऑल इंडिया जज कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए  CJI ने जजों की कमी पर कहा कि हम विश्व की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था हैं। हम देश में  FDI लाने की बात करते हैं, मेक इन इंडिया की बात करते हैं। इनवाइट इन इंडिया की बात करते हैं लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश का विकास न्यायपालिका की क्षमता से जुड़ा है। सरकार सारा दोष न्यायपालिका के मत्थे नहीं मढ़ सकती। लोगों को न्यायपालिका पर भरोसा है क्योंकि हम ऐसे हालात में अपना बेहतर कर रहे हैं।

केंद्र और राज्य सरकारों को चीफ जस्टिस ने खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि अमेरिका में नौ जज पूरे साल में 81 केस सुनते हैं जबकि भारत में छोटे से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक-एक जज 2600 केस सुनता है। विदेशों से आने वाले जज समझ नहीं पाते कि हमारे यहां जज ऐसे हालात में कैसे काम करते हैं। केंद्र कहता है कि हम मदद को तैयार हैं लेकिन यह काम राज्यों का है। राज्य कहते हैं कि फंड केंद्र को देना होता है।  

CJI ने भावनात्मक भाषण देते हुए कहा कि देश की निचली अदालतों में 3 करोड केस लंबित हैं। कोई यह नहीं कहता कि हर साल 20000 जज 2 करोड केस की सुनवाई पूरी करते हैं। CJI ने कहा कि लाखों लोग जेल में हैं, उनके केस नहीं सुन पा रहे हैं तो हम जजों को दोष मत दीजिए। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि देश के हाईकोर्ट में 38 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। इन्हें निपटाने के लिए कितने जज चाहिए। हाईकोर्ट में 434 जजों की वेकेंसी है। यह बात हम क्यों नहीं समझते। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि अकेले इलाहाबाद हाईकोर्ट में 10 लाख केस लंबित है। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जब 1950 में बना तो आठ जज थे और 1000 केस थे। 1960 में जज 14 हुए और केस 2247। 1977 में जजों की संख्या 18 हुई तो केस 14501 हुए। जबकि 2009 में जज 31 हुए तो केस बढकर 77 151 हो गए। 2014 में जजों की संख्या नहीं बढ़ी पर केस 81553 हो गए। उन्होंने कहा कि इस साल चार महीने में ही 17482 केस दाखिल हो गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 15472 केसों का निपटारा कर दिया।

हालांकि पीएम मोदी को यहां बोलना नहीं था लेकिन इसके बाद उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर लोगों की आस्था है। मोदी ने कहा कि CJI ने अहम बात रखी हैं, उनको सुनकर चला जाउंगा, ऐसा इंसान नहीं हूं। अगर संवैधानिक सीमाएं न हों तो CJI की टीम और सरकार के प्रमुख लोग आपस में बैठकर समाधान निकालें। सरकार न्यायपालिका के लिए कदम उठाने को तैयार है। देश में कानून बनाते समय देखना होगा कि उसमें दुविधा न रहे। पुराने कानून व्यवस्थाओं में अड़चन पैदा करते हैं और उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।