लखनऊ: आगामी 23 अप्रैल को यूपी की राजधानी लखनऊ में एक अनूठा सर्वे होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग में वर्तमान कार्यरत मुख्य सूचना आयुक्त और 9 सूचना आयुक्तों में से सबसे खराब कार्य करने वाले सूचना आयुक्त का पता लगाने के लिए एक सामाजिक संस्था द्वारा किये जा रहे इस सर्वे का कार्य  23 अप्रैल  को राजधानी के हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क में किया जाएगा.  सामाजिक संस्था येश्वर्याज सेवा संस्थान इसी दिन एक और सर्वे कराकर आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा का पता लगाने के लिए भी सर्वे करा रही है.

कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि इस दिन एक आरटीआई जनजागरूकता कैंप का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें उपस्थित आरटीआई एक्सपर्ट कैंप में आने वाले आम जन को आरटीआई एक्ट के प्रयोग में आ रही दिक्कतों के व्यवहारिक समाधान सुझायेंगे. कार्यक्रम में नई दिल्ली की सामाजिक संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सी.एच.आर.आई) के सौजन्य से आरटीआई मार्गदर्शिका का निःशुल्क वितरण भी किया जाएगा.

कार्यक्रम की आयोजिका सामाजिक कार्यकत्री और येश्वर्याज की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था के स्वयंसेवी इस सर्वे के लिए आम जनता और कैंप में आये लोगों से एक फॉर्म भरवाकर उनकी राय लेंगे. उर्वशी ने बताया कि विगत कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्तों द्वारा सुनवाइयों के दौरान आरटीआई प्रयोगकर्ताओं के उत्पीडन की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है और वर्तमान सूचना आयुक्तों में से कुछ आयुक्तों के द्वारा अपने पद ग्रहण के समय ली गयी शपथ के प्रतिकूल जाकर पारदर्शिता विरोधी माइंडसेट के तहत आरटीआई एक्ट को कमजोर करने वाले कृत्य किये जा रहे है.

उर्वशी का कहना है कि  सूचना आयुक्तों का इस प्रकार का व्यवहार किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और ऐसे आयुक्तों को पद पर बने रहने का कोई भी विधिक और नैतिक अधिकार नहीं है. उर्वशी ने बताया कि इस सर्वे के आधार पर उत्तर प्रदेश के वर्तमान कार्यरत मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी और 9 सूचना आयुक्तों में से सबसे निकृष्ट का चयन करके उसे पदच्युत करने के लिए पहले यूपी के राज्यपाल से गुहार लगाई जायेगी और यदि आवश्यक हुआ तो उच्च न्यायालय में पीआईएल भी दायर की जायेगी.