राजस्थान का पहला मुस्लिम शिक्षा महासम्मेलन सम्पन्न

जयपुर। भारत में मुस्लिम समाज को मुख्यधारा में लाने के सपने की सबसे पहली कोशिश राजस्थान के जयपुर में हुई है। रविवार को राजधानी के पहाड़गंज स्थित हिरा इंग्लिश स्कूल के प्रागंण में पूरे भारत से आए उलेमा और पेशेवर ने मिलकर समाज के विकास के लिए शिक्षा, रोज़गार और कौशल विकास को ज़रूरी तत्व बताया। कार्यक्रम के पश्चात् राजस्थान सरकार के नाम ज्ञापन भी दिया गया। हज़ारों लोगों ने इस पहल का स्वागत करते हुए इस प्रयास को साकार करने में अपने सहयोग की पेशकश की।

कार्यक्रम आयोजक नूरी सुन्नी सेंटर विकास समिति के सचिव हाजी रफ़त ने बताया कि राजस्थान के इतिहास में पहली बार उलेमा और व्यापार, व्यावसायिक शिक्षा के माहिर और पेशेवर ने एक साथ एक मंच पर बैठकर इस बात पर विचार किया कि मुसमलानों को मुख्यधारा में लाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं। नूरी सुन्नी सेंटर विकास समिति के प्रमुख हाजी रफ़त ने बताया कि मुसमलानों के सामने यूँ तो बेशुमार समस्याएँ हैं लेकिन सबसे प्रमुख बात यह है कि वह समाज की मुख्यधारा में नहीं है। यह उसके पिछड़ेपन की सबसे बड़ी वजह है। समाज के सभी तबक़ों से कटे होने के कारण वह शिक्षा, रोज़गार से तो दूर है ही, इसे दूर करने के दो महत्वपूर्ण स्रोत व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास को भी वह नहीं अपना पा रहा है। इस कमी को दूर करने के लिए यूनिसर्व नॉलेज फ़ाउंडेशन के साथ मिलकर जयपुर के नूरी सुन्नी सेंटर विकास समिति ने यह तय किया कि लोगों में यह जागरुकता लाना आवश्यक है कि वह अपनी कोशिश, ज्ञान, कौशल और समझ के आधार पर क्या कर सकते हैं। उलेमा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के माहिर और पेशेवर को साथ लाने में दिल्ली के यूनिसर्व नॉलेज फ़ाउंडेशन ने नूरी सुन्नी सेंटर विकास समिति की मदद की। कार्यक्रम में सुन्नी दावते इस्लामी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया भी सहप्रायोजक हैं।

कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में आयोजक हाजी रफ़त ने कहाकि मुस्लिम युवाओं के सामने सिर्फ़ आतंकवाद, कट्टरता, नशा, अशिक्षा और अपराध की ही चुनौतियाँ नहीं हैं बल्कि यह समझने की आवश्यकता है कि इस समस्याओं की जड़ में बेरोज़गारी मुख्य वजह है। हम कई महीनों से इस बात पर विचार कर रहे थे कि इसे कैसे दूर किया जाए। यूनिसर्व नॉलेज फ़ाउंडेशन ने इसमें हमारी बहुत मदद की। सेंटर को यूनिसर्व नॉलेज फ़ाउंडेशन ने बताया कि बिना मुख्यधारा में लाए युवाओं की समस्या को दूर नहीं किया जा सकता। हाजी रफ़त ने कहाकि नूरी सेंटर ने इस कड़ी में उलेमा और मुख्यधारा के दिग्गजों को एक मंच पर लाकर युवाओॆ को दिशा देने के अपने पहले प्रयास में कामयाब है।

राजस्थान के मुख्य मुफ़्ती शेर मुहम्मद ख़ान ने कार्यक्रम में कहाकि शिक्षा के बिना मानव जीवन अधूरा है। पैग़म्बर हज़रत मुहम्म्द ने बताया था कि शिक्षा रोशनी है और जो रोशनी से निकलता है वह नूर है लेकिन हमने इस संदेश को भुला दिया। मैं इस बात से इनकार करता हूँ कि उलेमा आधुनिक शिक्षा के विरोधी हैं। हमें याद रखना चाहिए कि पै़ग़म्बर ने हमें शिक्षा प्राप्ति के लिए चीन तक जाने की हिदायत दी थी यानी शिक्षा लेने में जो भी तकलीफ़ हो उसे बर्दाश्त करें लेकिन तालीम का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। सूफ़ीवाद का अर्थ मानवता की सेवा है।

अजमेर दरगाह के सज्जादानशीन और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफ़ेसर लियाकत हुसैन मोईनी चिश्ती ने कहाकि हमें अपनी पस्ती से बाहर आने के लिए शिक्षा पर ध्यान देना होगा। जितना महत्वपूर्ण तालीम लेना है उतना ही महत्वपूर्ण तरबियत भी है। उस शिक्षा का कोई महत्व कोई नहीं जो संस्कृति और मानववादी माहौल को बनाए ना रख सके। मदरसों ने उर्दू भाषा और संस्कृति की रक्षा की है। यह आवश्यक है कि महिला शिक्षा से कोई बच्ची नहीं छूटनी चाहिए।

एसोचैम उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राकेश सिंह ने इस अवसर पर कहाकि हमें अपनी अयोग्यताओं से सीखने की ज़रूरत है। ज़िद यदि सकारात्मक हो तो आप वह अर्जित कर सकते हैं जो आप चाहते हैं। अपने विश्वास को बनाए रखने के लिए अपने परिवार की सेवा को आदर्श बनाएँ। यह किसी काम को बेहतर करने ठीक क्रम रहेगा।

जिंदल इंस्टीच्यूट में प्रबंधन के फैकल्टी और मैनेजमेंट गुरू पंकज गुप्ता ने कहाकि जीवन में तीन तरह की परिस्थितियाँ होती हैं। एक स्थिति अभाव की है, दूसरा प्रभाव का जीवन है जिसमें हम किसी को देखकर प्रेरणा लेते हैं और तीसरी स्थिति स्वभाव में जीना है। तीसरी स्थिति सबसे सुखद होती है जिसमें हम अपने अनुभव से स्वयं विकास करते हैं। रुचि, योग्यता और विश्वास यही विकास की नींव है।

प्रमाणन एकाउंटिंग तकनीशियन संस्थान यानी आईसीएमआई के वरिष्ठ निदेशक जेके बुद्धिराज ने कहाकि कारोबारियों को कम्प्यूटर आधारित जितने अकाउंटेंट की आवश्यकता है उतने पेशेवर तैयार नहीं हो पा रहे हैं। आज मैं जयपुर में यह कार्यक्रम देखकर अभिभूत हूँ। मुस्लिम समाज को चाहिए कि वह प्रमाणन एकाउंटिंग तकनीशियन संस्थान की मदद से पेशेवर तैयार करे।

इंस्टिच्यूट ऑफ़ वैल्यूर्स यानी आईओवी के सचिव विनय गोयल ने कहाकि हम आज भी क्षमता के आंकलन में कमज़ोर हैं क्योंकि हम अंदाज़े से फैसला करते हैं जबकि व्यक्ति, समूह और कम्पनी की क्षमता का आँकलन करने के वैज्ञानिक तरीक़े मौजूद हैं। आईओवी यही करती है और हम नूरी सुन्नी सेंटर विकास समिति को सहयोग का भरोसा दिलाते हैं।

कार्यक्रम की नॉलेज पार्टनर संस्था यूनिसर्व नॉलेज फ़ाउंडेशन यानी यूकेएफ़ के महासचिव कुमार अनिकेत ने कहाकि आज के युग में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ सूचना है। सूचना से तात्पर्य संबंधित सूचना है। शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ज़रूरी है। मुस्लिम समाज इसे तरक़्क़ी का माध्यम बना सकते हैं।

इमर्जिंग बिज़नेस चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स यानी ईबीसीसी के संस्थापक अध्यक्ष मुहम्मद मक़सूद ख़ान ने बताया कि ईबीसीसी ने एसोचैम के साथ मिलकर अनूठी योजना शुरू की है जिसमें छोटे कारोबारियों की मदद के लिए शेयर्ड सर्विस सेंटर उत्तर प्रदेश में खोले गए हैं। ईबीसीसी राजस्थान और जयपुर में यह कार्य कर सकती है इससे छोटे कारोबारियों और उभरते पेशेवरों को उनके लिए उपयुक्त मदद करती है।

मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के सलाहकार मंडल के अध्यक्ष सय्यद मुहम्मद क़ादरी ने कहाकि इस्लाम में आत्मनिर्भरता को सम्मान दिया गया है और यह तब संभव है जब व्यक्ति इस्लामी और समकालीन शिक्षा हासिल कर अपना, परिवार और समाज को आत्मनिर्भर बनाए। उन्होंने कहाकि आत्मनिर्भरता के भाव से ग़रीबी भी दूर होती है।

यूकेएफ़ के उपाध्यक्ष और हिंदी मीडिया कम्पनी के संस्थापक निदेशक अख़लाक़ उस्मानी ने कहाकि मुस्लिम पेशेवरों को सोशल मीडिया प्रंबधन और सोशल ब्रांडिंग की ताक़त को पहचानना चाहिए। उस्मानी ने कहाकि परम्परागत मीडिया एकतरफ़ा संवाद पर आधारित है जबकि सोशल मीडिया इंटरएक्टिव यानी दोतरफ़ा संवाद पर केन्द्रित है। हिन्दी मीडिया सोशल ब्रांडिंग में पेशेवरों की मदद करने को तैयार है।

राजस्थान उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सय्यद हबीबुर्हमान नियाज़ी ने कहाकि जिस समाज की भाषा छीन ली जाती है उस समाज का गूंगा होना तय है। यह मुश्किल नहीं है कि आप अपनी भाषा में तालीम हासिल करें। हमारे लिए ज़रूरी है कि हम बालिका शिक्षा पर ध्यान दें क्योंकि एक बच्ची को पढ़ाने पर दो परिवारों की शिक्षा तय हो जाती है।

जयपुर शहर मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रिज़वी ने तालीम पर ज़ोर देते हुए कहाकि क़लम की ताक़त तलवार से अधिक है। हमें समझना चाहिए कि क़ुरआन का पहला शब्द ‘इक़रा’ है जिसका तात्पर्य होता है ‘पढ़ो’। आज मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन की सबसे बड़ी वजह अशिक्षा है।

मुफ़्ती ख़ालिद अयूब मिस्बाही ने कहाकि इस्लाम में हमेशा नई चीज़ सीखने पर ज़ोर रहा है। यह ना सिर्फ़ जानकारी को बढ़ाता है, व्यक्ति की कमाई को क्षमता को भी विकसित करता है और उसे इज़्ज़त भी दिलाता है। नई तालीम का मतलब सिर्फ़ किताबी जानकारी ही नहीं बल्कि तकनीकी तालीम भी है। यह रोज़गार ने नए दरवाज़े खोलती है।

मौलाना अब्दुल हकीम मिस्बाही ने कहाकि सरकारी, बैंकिंग, वित्तीय, समाज कल्याण और विशिष्ट योजनाओं के हवाले से यह समझने की आवश्यकता है कि किस प्रकार की तैयारी करके रोज़गार, शिक्षा, सामाजिक विकास और उन्नयन का मुस्लिम युवा हिस्सा बन सकते हैं। हमारे सामने अशिक्षा और बेरोज़गारी दो प्रमुख समस्याएँ हैं।

क़ारी अहमद जमाल अशरफ़ी ने कहाकि तालीम और तरक़्क़ी एक ही सिक्के के दो पहलू है। यह मुमकिन है कि कोई इंसान आर्थिक रूप से विकास कर ले लेकिन यदि वह इसमें तालीम भी जोड़ देता है तो वह नई विधा के साथ साथ सामाजिक संवेदनशीलता को भी समझ पाता है। आज यह मुसलमानों की आवश्यकता है।

मौलाना अंसार क़ादरी ने कहाकि हमारे सामने चुनौती है कि हम नई तकनीक से वाक़िफ़ नहीं हैं। तकनीक सिर्फ़ कम्प्यूटर और मोबाइल फ़ोन तक सीमित नहीं हैं। हमारे बच्चों के लिए आवश्यक है कि वह अपने हुनर को नई तकनीक के ज्ञान से निखारे। आज तकनीक हुनर का अहम हिस्सा है और तकनीक आधुनिक शिक्षा से आती है।

इस अवसर पर किछौछा दरगाह के सय्यद शाहिद अशरफ़, समाजसेवी मुर्शिद अहमद, यूसुफ़ अली टाक, कारोबारी शब्बीर कारपेट, सिराज ताक़त, हबीब गार्नेट, मुस्तफ़ा तंज़ेनाइट, सलाहुद्दीन क़ुरैशी, सईद अहमद अलवी, इकरामुद्दीन, नूरी सेंटर के अध्यक्ष हामिद बेग, मुफ़्ती गुलाम मुस्तफ़ा, हाफ़िज़ मुईनुद्दीन रिज़वी समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

कार्यक्रम की शुरूआत में बच्चों ने तालीम के हवाले से रंगारंग कार्यक्रम पेश किए। बच्चों ने नातिया गीत पेशकर पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के यशगीत प्रस्तुत किए और भारतीय सामाजिक जीवन की झाँकी पेश की। एक गीत नाटिका के माध्यम से बच्चों ने शिक्षा का महत्व बताया। इस अवसर योग्य और मैरिट प्राप्त बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इससे पहले शनिवार को जयपुर के अल्बर्ट हॉल से रामगंज तक बच्चों ने रैली निकालकर तालीम के महत्व पर पढ़ाई पर ज़ोर देने का आह्वान किया था।