रूद्रपुर। भारत के युवाओं को नौकरी ढूढ़़नें वाले नही, नौकरी देने वाले बनाने की चाहत का नाम है स्किल इंडिया। स्किल इंडिया का सार भारत को पूर्ण रूप से स्वावलम्बी बनाना है। कौशल विकास एवं तकनीकि ज्ञान से नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के हर सम्भव प्रयास कर रही है सरकार। सभी समस्याओं की बस एक ही उपाय है कौशल विकास। कौशल विकास हो जाय तो देश की सभी समस्याओं से लड़ा जा सकता है।

उक्त बाते दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र, सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा आयोजित एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा वित्त पोषित दो दिवसीय स्किल डेवलपमेन्ट एण्ड टेक्नोलोजिकल इन्नोवेशन विषयक नेशनल कान्फ्ेन्स के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि पर्यटन और होटल प्रबन्धन संस्थान, आगरा विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो0 लवकुश मिश्रा ने कहा। उन्होने आगे कहा कि बढ़ती जनसंख्या को कौशल विकास से युक्त शिक्षा की चुनौति  से निपटने के लिए स्किल इंडिया की शुरूआत की गयी है। जिससे दुनिया की अर्थव्यवस्था में आने वाले मानव संसाधन के संकट को दूर किया जा सके।

एम एस एम ई के अस्स्टिेन्ट डाईरेक्टर डी0 के0 अग्रवाल ने कहा कि पहाड़ का पानी और जवानी को पहाड़ी क्षेत्र में विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल कर उत्तराखण्ड का समुचित विकास किया जा सकता है। उत्तराखण्ड के लिए ऐसी परियोजनाएं तैयार की जाय जिससे युवा वर्ग की उर्जा का उपयोग सही परिपेक्ष्य में किया जा सके। तकनीकि और कौशल विकास ही  युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ आर्थिक रूप् से मजबूत करेगी।

चैबट्टाखाल डिग्री कालेज के प्राचार्य डा0 सुभाष वर्मा नेे कहा कि उद्योगों और कम्पनियों में कार्य करने के लिए ऐसे युवाओं की माॅग है जो विचारों को कार्यरूप में परिणीत कर सके। औद्योगिक घरानों को प्रशिक्षित कुशल युवा नही मिल पा रहे है जिससे औद्योगिक रूग्णता समस्या बनती जा रही है। कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र एक नयी आशा की किरण है औद्योगिक रूग्णता दूर करने की। कौशल विकास प्रशिक्षण से युवाओं को अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करेगा।

कुमाऊ विश्वविद्यालय इ्र्र कामर्स के विभागाध्यक्ष प्रो0 अतुल जोशी ने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखण्ड में सर्वाधिक सम्भावनाएं  विद्यमान है। आवश्यकता है पर्यटन और होटल के लिए समुचित प्रशिक्षण और तकनिकि  विकास कि जिससे उत्तराखण्ड देश की आर्थिक विकास में समुचित योगदान दे सके। पर्यटन नही उत्तराखण्ड को आत्मर्निभरता के साथ विकास के मार्ग पर ले जायेगा।

अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 जगदीश प्रसाद ने कहा कि विद्याार्थी अपने अन्दर की छुपी प्रतिभा-कुशलता जागृत कर ऐसा हुनर विकसित करें जिससे वो जहाॅ भी जाये उद्योग जगत उसका स्वागत करे। हमारा प्रयास है ऐसा वातावरण प्रदान करना जिससे सुयोग्य नागरिकों का र्निमाण हो सके। बेरोजगारी के दुष्चक्र को तोड़ने के लिए तकनिकि और कौशल विकास समय की माॅग है जिसमे दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र अपनी महती भूमिका का र्निवहन कर रहा है। आमंत्रित अतिथि डा0 लीला मेहरा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का एक मंत्र है महिलाओं की कौशल विकास और नयी तकनीकि का ज्ञान। तकनीकि ही उभरतें भारत की दशा और दिशा बदलेगी।

कान्फ्रेन्स के संयोजक एवं दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र के निदेशक डा0 योगेश कुमार शर्मा ने कान्फ्रेन्स के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सोच व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है और प्रयास उसकी सफलता का र्निधारण करते है। भारत विश्व का सर्वाधिक युवा देश है परन्तु युवाओं की क्षमता का समुचित उपयोग नही हो पा रहा है। यह कान्फ्रेन्स इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर तय किया गया है कि कैसे युवाओं की प्रतिभा-क्षमता का पूर्ण विकास कर प्रदेश एवं देश की परिस्थितियों में अमूल-चूल परिवर्तन लाकर कुशल भारत-समृद्व भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार किया जा सके।

आयोजन सचिव डा0 विनोद कुमार ने आभार ज्ञापन करते हुए बताया कि इस कान्फ्रेन्स में देश के विभिन्न भागों से एक सौ पचास से ज्यादा शिक्षा विद्, निति-र्निमाता, औद्योगिक विशेषज्ञ एवं शोध-छात्र पधारे हुए है जो इन दो दिनों में विचार मंथन एवं अपने अनुभव बाॅटेगें। विचार मंथन के पश्चात जो निष्कर्ष निकलेगें कौशल एवं तकनिकि विकास के लिए वो निश्चित ही निति-निर्माताओं के लिए उपयोगी होगी। कान्फ्रेन्स में 150 से ज्यादा शोध पत्र आये है जिनमें से अस्सी शोध शारांशिकाओं को संग्रहित करके एक स्मारिका निकाली गयी। स्मारिका स्किल डेवलपमेन्ट एवं टेक्नोलोजिकल इन्नोवेशल का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।

कान्फ्रेन्स का संचालन दीन दयाल कौशल केन्द्र के अस्स्टिेन्ट प्रोफेसर डा0 हरनाम सिंह ने किया। आज तीन तकनीकि सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें पैतालिस शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। पहले प्लेनरी शेेसन की अध्यक्षता करते हुए कुमाऊ विश्वविद्यालय के प्रो0 अतुल जोशी ने कहा कि पहाड़ का जवानी और पहाड़ का पानी पहाड़ के काम नही आता है। पहाड़ की पानी और जवानी अर्थात युवाशक्ति का प्रयोग पहाड़ी क्षे़त्रों के लिए कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया जा सकता है स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया के माध्यम से ही डेवलप्ड इंडिया की संकल्पना साकार होगी। आवश्यकता है दर्शक की भुमिका त्याग कर उद्यमी और मािलक की भुमिका से इन संकल्पनाओं के क्रियान्वयन करने की।

इन्टरप्रेन्युर डेवलपमेन्ट इन्सटिटयुट आफ इंडिया अहमदाबाद, गुजरात से पधारे डा0 अमित कुमार दिवेदी ने कहा कि नये स्टार्टअप आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर रहे है। भारत अपनी जेन-नेक्स्ट के नये-नये विचारों से शक्ल अख्तियार करने वाले उद्यमों के चलते विश्व पटल पर तमाम देशों को पीछे छोड़ देगा। भारत में स्टार्टअप का भविष्य सुनहरा हैं सरकार का समर्थन, सस्ती श्रम लागत, पेशेवरों की नई सोच, पुजीं की सुलभ प्रवाह और बढ़तें प्रोद्योगिक स्तर जैसी कारक भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनायेंगे।

श्री जेेजेटी विश्वविद्यालय राजस्थान की डा0 मधु गुप्ता ने कहा कि मेक इन इंडिया अभियान स्वदेशी का चेहरा बदल सकता है। स्टार्टअप और स्वदेशी देश को विकसित बनाने का आन्दोलन है। प्रेस्टीज इन्सर्टट्युट आफ मैनेजमेन्ट एण्ड रिसर्च, इन्दौर मध्यप्रदेश से पधारे डा0 पुनीत कुमार दिवेदी ने उद्यमिता के नये प्रयोगों में मौलिक पहल की बात करते हुए कहा कि देश में उद्यमिता का विकास ही लोगों को रोजगार मुहैया करवा सकता है।

व्यवहारिक अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ उ0 प्र0 से पधारे डा0 अनुप कुमार सिंह ने कहा कि स्टार्टअप इंडिया आर्थिक विकास का नया मंत्र है। उद्यमियों को वित्तिय समर्थन, परामर्श मुहैया कराये जाना चाहिए। अपने वाले समय में गरीबी उनमूलन, स्वच्छ एवं सुन्दर शहरीकरण, लैगिक समानता और पारम्परिक संस्कृतियों के सशक्तिकरण के लिहाज से बेहद लाभकारी साबित होगा। आवश्यकता है इसके लिए अपनी उचित तैयारी की।

डी0 आर0 डी0 आ0ै हल्द्वानी के वैज्ञानिक  डा0 संजय कुमार दिवेदी, श्री जेजेटी विश्वविद्यालय राजस्थान की डा0 अन्जू सिंह, कामना कन्सल्टेन्सी सर्विसेेस गुजरात की डा0 निवेदिता तिवारी, ने तकनीकि सत्रों की अध्यक्षता कर अपने विचार रखे। जिसमंें प्रमुख रूप से डा0 पी0 एन0 तिवारी, डा0 चन्द्र प्रकाश, डा0 मनिषा तिवारी, डा0 पुष्पा देवी, ई0 आकांक्षा गुप्ता, ई कालीराम भट्ट, डा0 अमीत सिंह, रूद देव, वेद प्रकाश विश्वकर्मा, विवेक अग्रवाल, सुधीर अग्रवाल सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षक एवं शोध छात्र उपस्थित रहे।