लखनऊ: एस0टी0एफ0, उत्तर प्रदेश को क्लोन चेक बनाकर अवैध रूप से बैंक खातो से धनराशि निकालने वाले गिरोह के मास्टर मांइड सहित 05 अभियुक्तो को लखनऊ में गिरफतार करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई।

एस0टी0एफ0, उत्तर प्रदेश को मिली सूचना के अनुसार लखनऊ व आसपास के जनपदों में विभिन्न बैंकों के चैको को क्लोन करके बैंकों से धन निकालने वाला गिरोह सक्रिय था।  इस सम्बन्ध में अमित पाठक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0, उत्तर प्रदेश द्वारा अपर पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह को अभिसूचना संकलन एवं कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया।  इस सम्बन्ध में त्रिवेणी सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा अपनी टीम के माध्यम से अभिसूचना संकलन की कार्यवाही प्रारम्भ करायी गयी।  इसी दौरान जानकारी में आया कि इसी प्रकार की धोखाधड़ी के सम्बन्ध में नरेश कुमार अग्रवाल द्वारा 15 फरवरी  को कोतवाली-चिनहट, जनपद-लखनऊ में मुकदमा  पंजीकृत कराया गया है, जिसमें वादी के खाता से रू0 4,95,207/- अवैध ढंग से निकाला गया है।  इस सम्बन्ध में जनपद पुलिस से समन्वय स्थापित करते हुए आवश्यक सूचनायें एवं अभिलेख संकलित किये गये।  इसी क्रम में अभिसूचना संकलन के दौरान कल मुखविर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि उक्त अभियोग से सम्बन्धित गैंग के कुछ सदस्य चिनहट तिराहा, कोतवाली चिनहट  क्षेत्र में आयेंगे, जिनके पास क्लोन चैक व उससे सम्बन्धित अन्य सामग्री उपलब्ध है।  इस सूचना को विकसित करते हुए एस0टी0एफ0 टीम द्वारा उक्त अभियोग के विवेचक को साथ लेकर निश्चित स्थान पर पहुॅचकर घेराबन्दी की गयी तथा समय लगभग दोपहर बाद साढ़े पांच बजे अभियुक्त वीरेन्द्र यादव उर्फ गुड्डू,, जितेन्द्र प्रताप, रामजस रावत  तथा संजय गुप्ता को गिरफतार कर लिया गया, जिनसे प्राप्त जानकारी के आधार पर आज लगभग साढ़े चार बजे इस गिरोह के मास्टर माइण्ड कुश द्धिवेदी को भी बी0बी0डी के निकट साई मार्केट से गिरफ्तार किया गया, जिनसे उपरोक्त बरामदगी हुई। 

पूछताछ पर गिरोह के मास्टर मांइड कुश द्विवेदी ने बताया कि वह स्वयम् बैंक में जाकर वहाॅ पर खाता धारको द्वारा रुपये निकालते समय उनके चेक की फोटो ले लेता था तथा बाद में बैंक के काल सेन्टर से उक्त खाते के बारे में जानकारी प्राप्त करता था और उन चेको की फोटो के माध्यम से नया क्लोन चेक बना लेता था।  क्लोन चेक तैयार करने के लिये कोरल ड्रा साफ्टवेयर का उपयोग करता था और उसके बाद उसी खाताधारक के बैंक एकाउन्ट का स्टेटमेन्ट प्राप्त करने हेतु उसके द्वारा बैंक में खाताधारक के नाम से फर्जी हस्ताक्षर से आवेदन कर खाता की डिटैल प्राप्त करता था।  इसके बाद उसी बैंेक की किसी भी  शाखा में, नया खाता खुलवाते थे तथा खाताधारक के  बैंक एकाउन्ट से सम्बन्धित पास-बुक, चैक-बुक व ए0टी0एम0 कार्ड आदि प्राप्त कर लिये जाते थे। बैंक से प्राप्त चैक-बुक में खाताधारक के नाम, एकाउन्ट नम्बर व MICR Code  केमिकल लगाकर मिटा दिया जाता है। इसके बाद प्रिन्टर की सहायता से उस पर  प्रयोग किये चैकों के खाताधारक के नाम, एकाउन्ट नम्बर व MICR Code  अंकित कर क्लोन चैक तैयार कर लिये जाते हैं तथा उस पर खाताधारक के फर्जी हस्ताक्षर करके किसी भी बैंक में प्रस्तुत करके धनराशि किसी अन्य खाता में हस्तांतरित करा दी जाती है। उसके बाद धनराशि निकालकर आपस में बांट ली जाती है। यह भी बताया कि उसके लैपटाप में उसके द्वारा खींची गयी खाता धारको के चेक की फोटो उपलब्ध है जो कि लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, उत्तर प्रदेश, हिमांचल प्रदेश, दिल्ली, कोलकाता पश्चिम बंगाल, राजस्थान व महाराष्ट्र के विभिन्न जनपदों में खींची गयी है। अन्य प्रदेशो के बैंक खातो में की गयी धोखाधड़ी एवं इस गिरोह के विभिन्न प्रदेशो में सक्रिय अन्य सदस्यो के सम्बन्ध में छानबीन की जा रही है।