नई दिल्ली: देश में छात्र राजनीति को गरमाने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की आत्महत्या, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ़्तारी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष ऋचा सिंह को परेशान करने जैसे मुद्दों पर विपक्षी पार्टियां एक मंच पर आकर लड़ाई तेज़ करने की रणनीति बना रही हैं। इसकी कमान विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े छात्र संगठनों को दी गई है।

21 मार्च को दिल्ली के मावलंकर सभागृह में विभिन्न छात्र संगठन जमा होंगे। इनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को छोड़कर बाकी सभी छात्र संगठनों को बुलाया गया है। सीपीएम से जुड़े छात्र संगठन एसएफआई के नेता इसके समन्वय में लगे हैं।  सम्मेलन में बड़े विपक्षी नेताओं को बुलाया जा रहा है। कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन एनएसयूआई ने पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को न्यौता देने की बात कही है। इसी तरह सम्मेलन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जेडीयू नेता केसी त्यागी, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी. राजा, एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी आदि को बुलाया जा रहा है।

येचुरी समेत कई बड़े विपक्षी नेता जल्दी ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय भी जा सकते हैं। वहां छात्र संघ की अध्यक्ष ऋचा सिंह ने विपक्षी नेताओं से दिल्ली में मुलाक़ात कर उन्हें परेशान किए जाने की शिकायत की थी। विपक्षी छात्र संगठनों का ये जमावड़ा जेएनयू की घटनाओं को उछालने की बीजेपी और संघ परिवार की रणनीति का मुक़ाबला करने के लिए है। विपक्षी पार्टियों मानती हैं कि जिस तरह एक के बाद एक मोदी सरकार और बीजेपी से जुड़े संगठन कैंपस को निशाना बना रहे हैं उसके बाद देश भर में छात्रों में उभरी नाराज़गी को आगे ले जाने का जरूरत है।