नागौर: आरएसएएस ने सरकार से विश्वविद्यालयों में लंबे समय से ‘देश विरोधी गतिविधियों’ में शामिल ‘विध्वंसकारी’ ताकतों पर अंकुश लगाने को कहा और सवाल उठाया कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगे देश को तोड़ने वाले नारों को आखिर कैसे सहन किया जा सकता है।

संघ के शीर्ष अधिकारियों के तीन दिवसीय विचार-विमर्श सत्र में आरएसएस ने कहा, हमें उम्मीद है कि केंद्र एवं राज्य सरकारें इस तरह के देश विरोधी और असामाजिक ताकतों से कड़ाई से निपटेंगी और हमारे शैक्षणिक संस्थाओं की पवित्रता एवं सांस्कृतिक माहौल सुनिश्चित करते हुए उन्हें राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र नहीं बनने देंगी। अहम विधानसभा चुनावों से पहले जेएनयू विवाद, हैदराबाद में दलित छात्र आत्महत्या मामला, शिक्षा के भगवाकरण के आरोपों और असहिष्णुता पर चर्चा जैसे मुद्दों से निपटने को लेकर आलोचना झेल रही नरेंद्र मोदी सरकार की पृष्ठभूमि में भाजपा की वैचारिक मार्गदर्शक रही संघ की यह बैठक अहम मानी जा रही है।

‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ की इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और इसके शीर्ष नेता सहित भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे।

बैठक के दौरान पेश अपनी वार्षिक रिपोर्ट में संघ ने पठानकोट में आतंकी हमले पर चिंता जताई और सुरक्षा बलों की क्षमता, उनके साजो सामान और प्रभारी अधिकारी की समीक्षा और उनके अवैध प्रवास एवं पाकिस्तान से प्रेरित आतंकवाद पर अंकुश लगाने की बात कही गई।