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बजट में अमीरों से छीन सकती है सब्सिडी

नई दिल्ली : आर्थिक समीक्षा 2015-16 की रिपोर्ट में इस बात के साफ संकेत दिए हैं कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ने जा रही है और इसकी एक बड़ी वजह है ग्रामीण अर्थव्यवस्था की हालत का खस्ता होना। सरकार निवेश बढ़ाती है तो राजकोषीय घाटा बढ़ने का खतरा होगा। वहीं वृद्धि के लिए बड़ा पैसा चाहिए, वह कहां से आएगा। महंगाई, रोजगार और टैक्स जैसे बड़े मुद्दे भी सरकार के सामने हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली सोमवार को पेश किए जाने वाले बजट में क्या बड़े फैसले लेंगे? आर्थिक समीक्षा से ये संकेत मिल रहे हैं कि बजट में अमीरों को मिलने वाली सब्सिडी हटाने संबंधी फैसले हो सकते हैं। 

संसद में पेश किए गए आर्थिक समीक्षा में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अच्छी तस्वीर पेश की है। समीक्षा में अगले साल सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि (जीडीपी ग्रोथ) 7 फीसदी से लेकर 7.75 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है। वहीं वित्त वर्ष 2016 में जीडीपी ग्रोथ 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि अगले कुछ साल में 8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान है। समीक्षा के मुताबिक 7वें वेतन आयोग के कारण महंगाई बढ़ने के आसार कम हैं।

समीक्षा में महंगाई 4.5 फीसदी से लेकर 5 फीसदी के बीच रहने की बात कही गई है। वहीं वित्त वर्ष 2017 में करेंट अकाउंट घाटा, जीडीपी का 1-1.5 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2016 में 3.9 फीसदी के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2017 में वित्तीय घाटे की स्थिति चुनौती भरी रहेगी।

समीक्षा में कई अहम सुझाव भी दिए गए हैं। इनमें इनकम टैक्स छूट खत्म करने और खेती से कमाई पर टैक्स लगाने के सुझाव हैं। कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किए जाने का सुझाव है। प्रॉपर्टी पर टैक्स बढ़ाने के सुझाव दिए गए हैं। सरकार ने बैंकों में 70000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का ऐलान किया है, लेकिन वित्त वर्ष 2019 तक बैंकों को 1.8 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत पड़ेगी।

आर्थिक समीक्षा से ये संकेत भी मिल रहे हैं कि बजट में अमीरों को मिलने वाली सब्सिडी हटाने संबंधी फैसले हो सकते हैं। समीक्षा में कहा गया है कि सरकार की कई ऐसी नीतियां हैं, जिससे गरीबों के साथ-साथ अमीरों को भी बड़ा फायदा होता है। ज्यादातर मामलों में ये फायदे सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी का रूप ले लेते हैं, जो एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की होती है।

सर्वेक्षण के मुताबिक वित्तीय अनुशासन के नजरिये से इसमें सुधार लाने की बड़ी जरूरत है। सर्वेक्षण में सात चीजों का जिक्र किया गया है, जिसके फायदे गरीबों से ज्यादा अमीर उठा रहे हैं। सब्सिडी का सबसे ज्यादा दुरुपयोग एलपीजी में हो रहा है, जहां सरकारी खजाने पर चालीस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ पड़ रहा है। इसी तरह बिजली पर 37 हजार करोड़, पीपीएफ पर करीब 12000 करोड़, केरोसिन पर 5500 करोड़, सोने पर 4000 करोड़, रेल भाड़े पर 3600 करोड़ और एटीएफ यानी एविएशन टरबाइन फ्यूल पर 750 करोड़ रुपये की सब्सिडी का फायदा अमीरों को हो रहा है।

माना जा रहा है कि बजट में व्यक्तिक आयकर स्लैब बढ़ सकता है। इनकम टैक्स का स्लैब 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.90 लाख रुपये हो सकता है। सस्ते होम लोन का एलान संभव है और सर्विस टैक्स बढ़ने की पूरी संभावना है। होम लोन ब्याज छूट 3 लाख रुपये हो सकती है। बजट में सिंचाई, ग्रामीण, मनरेगा और डीबीटी से जुड़ी अच्छी खबरें आ सकती गैं। अनाजों के एमएसपी में बढ़ोतरी का एलान हो सकता है। कॉरपोरेट टैक्स में छूट का ऐलान हो सकता है। विनिवेश के लिए नई योजनाओं पर विचार आ सकता है और शेयरों में निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। सरकारी बैंकों को सरकार से पूंजी मदद मिलेगी और कर्ज वसूली पर जोर होगा। 

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