शिया समुदाय से तीन दिनों तक शोक मनाने की अपील 

लखनऊ : खतीब ए अकबर मौलाना मिर्जा मोहम्मद अतहर के निधन पर आज मजलिसे उलमाये हिन्द में एक शोक सभा और ताजयती जलसे का आयोजित हुआ । जलसे में खतीब ए अकबर की खिताबती सेवाओं को याद किया गया और उनके लिए फातिहा खानी की गई। इस शोक सभा के लिए मजलिसे ओलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने अपना संदेश देते हुए कहा कि उनके निधन पर मैं उनके खानदान वालों को ताजियत पेश करता हूं। प्रत्येक धर्म और समुदाय के लोग उनकी खिताबत और तकरीर को पसंद करते थे, उन्की अपना अछूता अनदाज और दिल नशीन तकरीर का तरीका था। उनका निधन खिताबत और कौम का बड़ा नुकसान है। वह अपनी तकरीरों की सरल शैली  के लिए जाने जाते थे। मौलाना ने कौम से अपील की कि खतीब ए अकबर के निधन पर तीन दिनों तक शोक मनाया जाए और घरों पर काले झंडे लगाए किए जाएं।

इस मौके पर मौलाना निसार अहमद जेन पुरी ने कहा कि उनकी खिताबत की एक अपनी शैली थी और अब यह शैली उनकी पहचान बन गयी है। उन्होंने कभी मिंमबर से कोई मतभेद या विवादित बात बयान नहीं है,जिस तरह आज के खतीबों के बयानों पर हंगामे होते हैं और मतभेद जन्म लेते हैं वे हमेशा ऐतिहासिक संदर्भों के साथ तार्किक बात करते थे जिसे हर वर्ग का आदमी समझता था ।अदिल फराज नकवी ने खतीब ए अकबर की खिताबत का उल्लेख करते हुए कहा कि वह युवा जाकिरों के लिए नमूना ए अमल थे , उनका सादा अनदाज और विशिष्ट शैली अल्प ज्ञान वाले वर्ग को भी अपनी ओर खींचती थी और उनका लेहजा प्रभावित करता था पूरी दुनिया में वह शिया कौम का चेहरा माने जाते थे ,उनका निधन कौम व मिल्लत का बड़ा नुकसान है। मौलाना रजा हुसैन ने खतीब ए अकबर के निधन को मिल्लत का बड़ा नुकसान बताते हुए कहा कि अब उनका बदल संभव नहीं है वह खिताबत का ऐसा दीपक थे जिसकी रोशनी कभी फीकी नहीं पड़ेगी। मौलाना तसनीम मेहदी ने उनके निधन पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी खिदमात और सेवायें किसी से छिपा नहीं है ,एक मिम्बर से इतने साल लगातार संबोधित करना मामूली बात नहीं है। वह खतीब के साथ एक विद्वान भी थे और जिम्मेदारी से अपनी बात जनता के सामने रखते थे।

इस शोक सभा में मौलाना तसनीम मेहदी, मौलाना रजा हुसैन मौलाना फिरोज हुसैन, मौलाना इसतेफा रजा ,डा0 हेदर मेहदी और इमरान नकवी के अलावा अन्य सदस्यों कार्यालय मौजूद रहे।