चेन्नई: कांग्रेस और डीएमके ने तीन साल बाद आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने डीएमके अध्यक्ष एम. करुणानिधि से उनके आवास पर मुलाकात की और द्रमुक को ‘सबसे भरोसेमंद सहयोगी’ बताते हुए पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा की।

डीएमके अध्यक्ष के साथ मुलाकात के बाद आजाद ने संवाददाताओं को बताया कि सीट बंटवारा और डीएमके नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा बनने जैसे मुद्दे अभी अहम नहीं हैं, बल्कि मुख्य उद्देश्य डीएमके को सत्ता में वापस लाना है।

उन्होंने कहा कि डीएमके के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा और इस गठबंधन में डीएमडीके सहित और अधिक सहयोगियों को शामिल करने की जिम्मेदारी करुणानिधि की पार्टी पर होगी।

कांग्रेस पर श्रीलंकाई तमिलों के साथ धोखा करने का आरोप लगाते हुए डीएमके 2013 में गठबंधन से अलग हो गई थी और तब से (2013 से) 2016 की स्थिति में क्या कुछ बदलाव आया है, यह पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि राजनीति में ‘मजबूरियां और दबाव’ होते हैं और अतीत में दोनों पार्टियों ने साथ में चुनाव भी जीता है।

कथित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा और करुणानिधि की बेटी, राज्यसभा सांसद कनीमोझी की गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि में डीएमके-कांग्रेस का यह अलगाव सामने आया था।

कांग्रेस ने पिछला लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा था, जिसमें उसे खाली हाथ से ही संतोष करना पड़ा, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में डीएमके के साथ लड़ी कांग्रेस 234 सदस्यी विधानसभा के लिए महज पांच सीटें ही हासिल कर पाई थी।