लखनऊ: उत्तर सरकार द्वारा स्टार्ट-अप इकाइयों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान में प्रचलित सूचना प्रोद्योगिकी नीति-2012 को पुनरीक्षित एवं संशोधित करते हुए ‘‘उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट-अप नीति-2016’’ बनायी गयी है। यह देखते हुए कि 3100 से अधिक स्टार्ट-अप इकाइयों के साथ भारत विश्व का चैथा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप हब है, उत्तर प्रदेश सरकार इस नई नीति के माध्यम से राज्य में अधिक से अधिक स्टार्ट-अप इकाइयों को प्रोत्साहित करने का हर सम्भव प्रयास करेगी।

इस संबंध में आई.टी.एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग के प्रमुख सचिव श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी तथा बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेण्ट क्षेत्र के बदलते परिदृश्य में प्रस्तावित ‘‘सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट-अप नीति’’ में ब्याज उपादान, स्टैम्प ड्यूटी से छूट, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से छूट, भविष्य निधि की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति, विद्युत उपादान तथा लीज-रेन्टल उपादन, स्व-प्रमाणन को बढ़ावा आदि प्रोत्साहन उपलब्ध कराकर, वृहद सूचना प्रौद्योगिकी/बी.पी.एम इकाइयों के साथ-साथ स्टार्ट-अप सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा। सरकार द्वारा इन्क्यूबेटर्स तथा स्टार्ट-अप्स को इन्फ्रास्टक्चर के विकास के लिए अनुदान तथा परिचालन व्ययों हेतु 5 वर्ष तक सहायता देकर स्टार्ट-अप संस्कृति को प्रोत्साहन दिया जायेगा। मासिक भरण-पोषण भत्ता तथा विपणन व्यवसायीकरण सहयोग देकर वैयक्तिक स्टार्ट-अप्स को भी सहायता की जायेगी। इससे राज्य में एक उद्यमिता/स्टार्ट-अप्स संस्कृति विकसित होगी।