जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें पूरी तरह लागू करने के निर्देश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को BCCI को बड़ा झटका दिया। सर्वोच्च अदालत ने बोर्ड को जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें पूरी तरह लागू करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि BCCI को इस संबंध में कोई दिक्कत है, तो अदालत को बताए और इस संबंध में 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। गौरतलब है कि लोढ़ा कमेटी ने BCCI में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं।

जजों ने कहा, ‘पूर्ण सुधार के लिए रास्ता पूरी तरह साफ किया जाना चाहिए। इस मुद्दे पर BCCI को बिल्कुल यथार्थवादी रवैया अपनाना चाहिए। हमें कमेटी की सिफारिशों से असहमति का कोई कारण नजर नहीं आता।’

BCCI ने कहा कि उसकी लीगल कमेटी की कमेटी बैठक 7 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी। 

सर्वोच्च अदालत ने BCCI के वकीलों से कहा कि वह रिपोर्ट को लागू करवाना सुनिश्चित करें। इस रिपोर्ट में बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों के लिए एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने, मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों के बोर्ड के पद ग्रहण करने पर रोक जैसे सुझाव दिए गए हैं।

खास बात यह कि समिति ने जो सुधारवादी सुझाव दिए हैं, उनके व्यापक प्रभाव पड़ेंगे और इससे कई राज्य संघों के अध्यक्ष भी प्रभावित होंगे, जो पिछले लंबे समय से अपने पदों पर आसीन हैं। कुछ सुधार प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के अनुरूप सुझाए गए हैं।

पहली सिफारिश में कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता। इस पर अमल हुआ तो मुंबई क्रिकेट संघ के महत्वाकांक्षी अध्यक्ष शरद पवार, तमिलनाडु क्रिकेट संघ के एन. श्रीनिवासन की बोर्ड में वापसी का रास्ता बंद हो जाएगा। सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के प्रमुख निरंजन शाह, पंजाब के शीर्ष पदाधिकारियों एमपी पांडोव और आईएस बिंद्रा के लिए भी अपने राज्य संघों में बने रहना मुश्किल हो जाएगा।

दूसरी सिफारिश में एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा। इसका मतलब है कि बीसीसीआई एजीएम के दौरान ऐसी स्थिति में अध्यक्ष शशांक मनोहर मतदान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि महाराष्ट्र का ही मान्यता प्राप्त वोटर होगा। विदर्भ और मुंबई एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट हो जाएंगे।

इसी तरह से निरंजन शाह मतदान नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सौराष्ट्र एसोसिएट सदस्य बन जाएगा और गुजरात मुख्य सदस्य। इस तरह से बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को भी स्वतंत्र राज्य होने के कारण मतदान का अधिकार मिल जाएगा। राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) अपना मतदान का अधिकार गंवा देगा।