नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस संजय मिश्रा को यूपी का नया लोकायुक्त नियुक्त किया है। कोर्ट ने वीरेंद्र सिंह का नाम वापस ले लिया है। दरअसल, कोर्ट ने 16 दिसंबर को वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त बनाने वाला आदेश दिया था।

कोर्ट ने आदेश में यूपी पर सख्त नाराजगी जताई और कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक साधारण से मामले में यूपी के संवैधानिक पदाधिकारी एक राय नहीं बना पाए। नियुक्ति के लिए कई बार वक्त दिया गया। लंबी बैठकों का दौर चला और जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम यूपी सरकार ने कोर्ट के सामने रखा, लेकिन हमें उनके बारे में कई तथ्य साफ नहीं हैं। जाहिर है कि उनके नाम पर गंभीर संदेह है। इसके कारण उनका नाम हटाया जा रहा है। उम्मीद है कि अब संजय मिश्रा के नाम पर सभी में सहमति बनेगी। दुख इस बात का है कि पहले यह पता चलता कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर सहमत नहीं हैं तो ये हालात नहीं होते।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि अब तक किसी भी नाम पर मुख्यमंत्री, चीफ जस्टिस और नेता विपक्ष के बीच लोकायुक्त के नाम पर सहमति नहीं बना पाए। हम मानते हैं कि लोकायुक्त के संभावितों की सूची देने में गुमराह किया गया। यूपी में एक लोकायुक्त का नाम तय करने में इतना वक्त लगा। 18 महीने तक कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया। राज्य के यह हालात थे कि लोकायुक्त बनाने में सालों लग रहे थे और इसके कारण ही पुराना लोकायुक्त दस साल तक काम करता रहा।

इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अगर आप लोकायुक्त की नियुक्ति में नाकाम रहते हैं तो हम आदेश में लिखेंगे कि सीएम, गवर्नर और इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अपनी ड्यूटी करने में असफल रहे।