एक वो ज़माना था जब लोगों के बीच में पत्नी अपनें पति के सामनें घुंघट काढ़ती थी वो पत्नी जिसे पति धार्मिक रिती रिवाज के अनुसार सामाजिक तौर पर समाज व रिश्तेदारों के सामनें अपना जीवन साथी बनाता था। यें वो पत्नी होती है जिससें मिलनें के लिए पति पत्नी को दुनिया की कोई भी ताकत या कोई भी कानून रोकनें की ताकत नही रखता है । लेकिन एक आज का समय है जब आज के युवा युवती सार्वजनिक स्थानो पर बिना किसी शर्म के ऐसें अशलीलता फैला रहें है जैसें वो भारत में नही बल्कि किसी ऐसें देश में हो जहॅा सार्वजनिक स्थानों पर अशलीलता फैलाना न तो कानून के विरूध है और न ही समाज के विरूध । भारतीय संस्कृति की खुलेआम धज्जिया उड़ातें हज़ारों युवा आज देश की संस्कृति के लिए बड़ा खतरा बनतें जारहें है । आज के समय में शायद ही शहर का कोई ऐसा पार्क बचा हो जहॅा परिवार के साथ जाया जाकता हों । हमारी बात भले ही कड़वी लगे लेकिन है सौ फीसदी सच और ये सच शायद उन हज़ारों लोगों को स्वीकार भी न हो जो देश की संस्कृति सें खिलवाड़ कर रहे है लेकिन सच तो सच होता है और सच कहनें में किसी को डरना नही चाहिए खास कर तब जब बात देश और समाज की हों। युवक युवतियों द्वारा शहर की पार्को में खुलेआम अशलीलता फैलाए जानें का मंज़र छुप छुपा कर नही बल्कि लबे सड़क खड़े होकर सैक्ड़ों लोग देखतें है लेकिन समाज के सामनें बिना किसी डर के अशलीलता करनें वालें भारतीय संस्कृति के दुशमनों की सेहत पर कोई असर नही पड़ता है। बात सिर्फ एक पार्क यानि हज़रतगंज के बेगम हज़रत महल पार्क की करें तों सच्चाई खुद आपके सामनें आजाएगी यें पार्क ऐसा है जिसके चारों तरफ सें व्यस्त सड़क गुज़रती है इस सड़क पर दिन भर लाखों लोग चलतें है लेकिन इसी पार्क के किनारें रेलिंग के पास तमाम लोग रूक कर ऐसें नज़ारों का लुत्फ उठातें है जिसकी कल्पना भी हमारें बुज़ुर्गो नें शायद नही की होगी। पार्क में एक नही बल्कि अनेक युवा जोड़े बिना चार दिवारी के खुले आसमान के नीचें बैठ कर इस तरह की अशलील हरकतें करतें है जिसें शायद सभ्य समाज में रहनें वाला कोई भी व्यक्ति बर्दाश्त नही कर सकता लेकिन देश के लचर कानून सें मजबूर सभ्य समाज में रहनें वाला कोई भी इन्सान यें सब देख कर भी खामोश इस लिए रहता है कि जब खुले आसमान और खुले मैदान में सार्वजनिक स्थान पर ऐसी बेहूदा हरकतें करनें वालों पर पुलिस हाथ डालनें सें डरती है तों जनता इनहें रोक कर क्यों मुसीबत में पड़े। ऐसें ही लोग 14 फरवरी वेलेन्टाईन डे पर पार्को में शिव सेना की कार्यवाही को बुरा कह कर बालिंग युवक युवतियों की स्वतंत्रा पर हमला बतातें है जिन की अशलील हरकतों को रोकनें का यें लोग प्रयास करतें है। राजनितिक पार्टी के इस कार्य की सराहना या बुराई करना मेरा मकसद नही है लेकिन ऐसे हालातों सें रूबरू करानें के लिए इस पार्टी का ज़िक्र करना भी ज़रूरी है। आज सें दो दशक अगर पीछे जाकर देखें तों अशलील फिल्में भी चन्द लोग छिप छिपा कर देख लिया करतें थें सिनेमा हाल में दिखाई जानें वाली मामूली सी अशलील फिल्म भी अगर कोई देखनें जाता था तों पहलें वों इधर उधर नज़र दौड़ाता था कि उसका कोई जान पहचान वाला तों उसें पिक्चर हाल में दाखिल होतें हुए नही देख रहा है। लेकिन आज के इस हाईटेक दौर में भलें ही सुविधाए बढ़ी हो लेकिन इन्टरनेट के ज़रिए अब लगभग सभी मोबाईल फोन में अशलील फिल्मो का खज़ाना भरा हुआ है जिसें देखनें के लिए न तों कोई रोक टोक है और न ही ऐसी फिल्मों को देखनें के लिए ज़्यादा पैसें ही खर्च करनें पड़तें है। देश की संस्कृति के लिए खतरा बनें खुलेआम अशलीलता करनें वालें लोगों पर पुलिस कार्यवाही क्यों नही करती है यह भी एक बड़ा सवाल है । यें बात मुझे कहनें में बुरी तो ज़रूर लग रही है लेकिन कहना भी ज़रूरी है कि तमाम ऐसी युवतिया जो घर सें तो स्कूल जानें की बात कहती है लेकिन स्कूल की बजाए वो अपनें ब्याव फ्रेन्ड के साथ स्कूल का समय पार्क में बिता कर भारतीय संस्कृति को तो शर्मसार करती है साथ ही अपनें माता पिता को भी धोखा देती है यें बात सिर्फ युवतियों पर नही बल्कि युवतियों के साथ खुले आम रंगरेलिया मनानें वालें युवको पर भी लागू होती है। उस समय तो मीडिया ब्रेकिंग न्यूज़ दिखाता है जब देश की कोई ऊॅची हस्ती किसी बन्द जगह पर आपत्ति जनक स्थिति में देखी जाती है लेकिन देश और समाज को सच्चाई का आईना दिखानें वाली मीडिया को शहर की तमाम पार्को में खुलेआम हो रही अशलीलता क्ॅयू नज़र नही आती है क्या इस लिए की इस तरह की अशलीलता मीडिया के लिए सनसनीखेज़ खबर नही है। पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति की तारीफ होती है लेकिन हमारें देश में देश की संस्कृति को मज़ाक बनानें वालें ऐसें लोगों के लिए क्या देश के कानून में कोई ऐसी धारा नही है जिसके तहत ऐसी अशलील हरकतें करनें वालें युवक युवतियों पर मुकदमा दर्ज किया जा सके । नियम भी है और कानून में ऐसी धाराए भी है जिससें इस तरह के अनैतिक काम रोके जा सकतें है लेकिन पुलिस अपनी ज़िम्मेदारी से क्यूॅ बचती है यें विषय सोंचनीय है। भारत में बसनें वालें करोड़ों लोगों कों शायद यही इन्तिज़ार है कि पुलिस कब सार्वजनिक स्थानों पर खुलेआम रंगरेलिया मनानें वालों पर शिकंजा कसेगी। काश ऐसा हो कि देश के कानून में ऐसी हरकतें करनें वालों को खतरनाक अपराधी मान कर सख्त सज़ा का प्रावधान हो तों हमारें भारत देश की संस्कृति प्रदूषित होनें सें बच जाएगी।

ख़ालिद रहमान