उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी द्वारा स्कूल स्वास्थ कार्यक्रम आयोजित

लखनऊ: राष्ट्रीय आयुष मिशन, आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी एवं होम्योपैथी) के सुदृढ़ीकरण एवं विकास हेतु योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं जिस क्रम में आयुष मिशन के कार्यक्रमों को प्रदेश में संचालित किए जाने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य आयुष सोसाइटी का गठन किया गया है जिससे योजनाओं का लाभ प्रदेश के जन सामान्य को उपलब्ध कराने के दृष्टिगत अनेकों जनकल्याणकारी योजनाओं का आरम्भ किया जाएगा। प्रदेश के दस जनपदों में दो-दो ब्लाकों में अवस्थित प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण आयुष चिकित्सकों द्वारा ‘स्कूल स्वास्थ कार्यक्रम‘ के अंतर्गत किया जायेगा।

आज योजना के प्रायोगिक प्रारम्भ हेतु जनपद लखनऊ के मोहनलालगंज ब्लाक स्थित आदर्श लोहिया ग्राम भदेसवा के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय के 171 विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथी चिकित्सकों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ, डाॅ0 ए0के0 दीक्षित प्रभारी आयुर्वेद निदेशालय, डाॅ0 अल्तार्फुर रहमान प्रभारी यूनानी, डाॅ0 रमेश गौतम बाल रोग विशेषज्ञ राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय लखनऊ, डाॅ0 हरिश्चन्द्र यादव जिला होम्योपैथिक अधिकारी, श्री राम नरायण यादव खण्ड शिक्षा अधिकारी मोहनलालगंज के साथ-साथ दोनों विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं व ग्राम प्रधान ग्राम भदेसवा कन्हैया लाल भी उपस्थित रहे।  

श्रीमती कुमुदलता श्रीवास्तव विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा उ0प्र0 शासन एवं निदेशक, उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसायटी ने कार्यक्रम में पहुँच कर कार्यक्रम का निरीक्षण किया तथा इस योजना को भविष्य में प्रदेश के अन्य जनपदों में नियमित रूप से संचालित करने की जानकारी दी। उन्होंने इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। विशेषकर प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चे और भी ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए हैं कि यें विद्यालय संस्कार की पहली सीढ़ी हैं। ये बच्चे स्वस्थ रहेंगे तो इनकी शिक्षा-दीक्षा तथा चरित्र का विकास और भी बेहतर ढंग से होगा। बच्चों का स्वास्थ देश के लिए सर्वोपरि है। उन्होंने यजुर्वेद में वर्णित श्लोक ‘पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शतं श्रृणयाम् शरदः शतं प्रब्रवाम ….‘ की व्याख्या करते हुए कहा कि हम सौ वर्ष तक देखें, जीयें, सुने, हमारी वाणी की शक्ति बनी रहे और हम सौ वर्षों तक स्वालम्बी बने रहें। इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने आहार-विहार, खान-पान का ध्यान रखकर स्वस्थ रहने का प्रयास करें। 

क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी ने इस अवसर पर दैनिक दिनचर्या एवं सद्वृत्त के बारे में बच्चों को स्वस्थ रहने के उपाय बतायें तथा तुलसी, नीम, गिलोय, दूब, मकोय, अजवाइन, सौंफ, हल्दी आदि सर्वसुलभ औषधीय पौंधों एवं द्रव्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अचानक नाक आदि से खून के स्राव होने पर दूब के एक चम्मच रस को लिया जाये तो तुरन्त आराम मिलता है। मकोय की पत्ती का साग एवं उसके फलों का सेवन लीवर की बीमारियों को ठीक करता है वहीं खून की कमी एवं शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन को दूर करता है। हल्दी, गिलोय एवं तुलसी के गुणों के बारे में डाॅ0 त्रिपाठी ने बताया कि यदि इनका सेवन नियमित रूप से किया जाए तो शरीर में किसी प्रकार का संक्रमण नहीं होता और शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है जिससे हम मौसम के बदलने पर होने वाले सर्दी, जुकाम, खांसी एवं बुखार से बचे रह सकते हैं। उन्होंने बच्चों से बताया कि चीनी की जगह गुड़ का सेवन करना चाहिए जो शरीर में खून की वृद्धि करता है तथा प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए चने का सेवन प्रतिदिन अपने नाश्ते में अवश्य करें।

यूनानी महाविद्यालय लखनऊ के प्रो0 एन0ए0 अंसारी ने बताया कि गेंदे के फूल को किसी भी चोट या खरोंच पर मसल कर लगाने पर घाव शीघ्र भरता है और अजवाइन के भुने हुए चूर्ण का सेवन पेट की गडबडी को ठीक करने के लिए मुफीद है।