नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण पर काबू पाने की मुख्यमंत्री केजरीवाल के ऑड-ईवन फार्मूले के 15 दिनों का ट्रायल खत्म होने से ट्रैफिक जाम बढऩे लगा है। वहीं, एक सर्वे के मुताबिक ऑड-ईवन से यहां प्रदूषण कम नहीं बल्कि और बढ़ गया। ट्रायल के 15 दिनों के दौरान हवा की गुणवत्ता पहले से और खराब हुई। यानि, दिल्ली सरकार का यह प्रयोग नाकाम रहा है।

सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक ट्रायल के 15 दिनों के दौरान राजधानी में जाम से राहत मिली, लेकिन पॉल्यूशन नहीं घटा। यह कम होने की जगह और बढ़ गया। दिसंबर के आखिरी 15 दिनों के मुकाबले जनवरी के शुरुआती 15 दिन 15 पर्सेंट ज्यादा जहरीले रहे। जहां, दिसंबर के 15 दिनों में पीएम2.5 (पॉल्युशन) का एवरेज 270 था वहीं जनवरी के 15 दिनों में यह 309 तक पहुंच गया।

आंकडे चाहे पॉल्यूशन में ग्रोथ बताएं मगर ऑड-ईवन के ट्रायल से दिल्ली जाम से मुक्त रही। ट्रायल के खत्म होते सोमवार को बीआरटी कॉरीडोर, मथुरा रोड जैसे मार्गों पर भारी जाम लग गया। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि भारी जाम का एक कारण 26 जनवरी की परेड की रिहर्सल भी है। इस वजह से राजपथ पर विजय चौक से इंडिया गेट तक ट्रैफिक जाम रहेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक है। यहां पीएम 2.5 पॉल्यूशन का लेवल 153 से भी अधिक है, जो कि चीन की राजधानी बीजिंग के मुकाबले बहुत ज्यादा है। सेंट्रल पॉल्युशन बोर्ड एंड अरबनइमीशंस के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण के अत्यधिक बढऩे की वजहों में 45फीसदी धूल और कंस्ट्रक्शन वर्क, 17 फीसदी जलाए जाने वाला कचरा, 14 गाडिय़ों से, 9 फीसदी डीजल वाले जेनरेटर और लगभग 7 फीसदी घरेलू प्रदूषण होता है। वहीं इंडस्ट्रीज भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।