लखनऊः जय नारायण स्नाकोत्तर महाविद्यालय, लखनऊ में आज स्वामी विवेकानन्द केन्द्र के तत्वाधान में स्वामी विवेकानन्द जयंती के अवसर पर ‘समर्थ भारत पर्व‘ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने एकनाथ रनाडे द्वारा संकलित स्वामी जी के संभाषणों पर आधारित पुस्तक ‘Spiritualising Life‘ का विमोचन किया। राज्यपाल ने स्वामी विवेकानन्द के विचार एवं लेख संग्रहित करने को ऐतिहासिक कार्य बताते हुए विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी को धन्यवाद भी दिया। इस अवसर पर डाॅ0 दिनेश शर्मा महापौर लखनऊ, रामकृष्ण मठ के स्वामी निरविकल्पानंद, विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्रायें व अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने योग एवं प्राणायाम भी प्रस्तुत किया।
राज्यपाल ने स्वामी विवेकानन्द को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द का महत्व अब विदेशों में भी समझा जाने लगा है। स्वामी विवेकानन्द ने भारत और भारतीयता का परिचय पूरे विश्व के सामने रखा। स्वामी विवेकानन्द ने ऐसे समय पर विदेश में भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डाला जब भारतीयों का बहुत अपमान किया जाता था। शिकागों में उनके शब्दों ने विचारों को नई चेतना दी। स्वामी जी ने कहा था कि भारत सर्वधर्म सम्भाव का प्रतिनिधित्व करता है। राज्यपाल ने कहा कि स्वामी जी के विचारों में जो संदेश है उसे समाज के सामने रखने की जरूरत है।
श्री नाईक ने कहा कि छात्र-छात्राओं को सूर्य नमस्कार करते देखकर उन्हें अपने बचपन की याद आ गयी। जिस स्कूल में वे शिक्षा ग्रहण करते थे वहां रोज सुबह 25 सूर्य नमस्कार करना अनिवार्य था। उन्होंने सुझाव दिया कि संभाषणों का संकलन अंग्रेजी में है इसलिए उसे हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं में भाषांतरण किया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग स्वामी जी के विचारों को जान सकें। उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है, ऐसे में स्वामी जी के विचार युवाओं की बुद्धि को नई चेतना देकर देश को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देंगे।
स्वामी निरविकल्पानंद ने कहा कि स्वामी जी का लक्ष्य था कि समाज का दुःख कैसे दूर किया जाए। देश को सुधारने का काम युवा वर्ग कर सकता है। संघर्ष ही जीवन का दूसरा नाम है। मन के संघर्ष से नया रास्ता निकलता है। उन्होंने कहा कि त्याग और सेवा से समाज में बदलाव लाने का प्रयास करें।
डाॅ0 दिनेश शर्मा महापौर ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का जीवन भारत का इतिहास है। स्वामी जी ने मिलकर रहने को ही जीवन का संदेश बताया था। स्वामी जी की परम्परा को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज को सवारने वाले लोगों का ही कल सुखद होता है।
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