नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को करारा झटका देते हुए तमिलनाडु में सांडों को काबू करने के बहुप्रचलित खेल जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति देने वाली सरकारी अधिसूचना पर आज अंतरिम रोक लगा दी। न्यायूमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और पशुओं के संरक्षण के लिए काम करने वाली प्रमुख संस्था पीपुल्स फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स पेटा तथा ऐसी ही कई अन्य संस्थाओं द्वारा सरकारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार समेत कुछ ऐसे राज्यों को नोटिस भी जारी किया है जहां जल्लीकट्टू का खेल आयोजित किया जाता है। न्यायालय ने इन सभी पक्षों से एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा है। केन्द्र सरकार ने तमिलों के पर्व पोंगल के अवसर पर राज्य में जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति देने वाली अधिसूचना शुक्रवार को जारी की थी, जिसे चुनौती देने वाली याचिका कल दायर करते समय याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्र्धाथ लूथरा और आनंद ग्रोवर ने मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर से इस याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने इसके लिए मंगलावार का दिन तय किया था।

जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक लोकप्रिय खेल है, जिसमें प्रतियोगियों को बाड़े में बंद सांडों को छोड़े जाने के बाद उन्हें काबू करना होता है। इस मौके पर बैलगाड़ियों की दौड़ भी आयोजित की जाती है। उच्चतम न्यायालय की ओर से रोक लगाए जाने के बाद तमिलनाडु में इस साल पोंगल के पर्व पर जल्लीकट्टू का आयोजन नहीं हो पाएगा।

गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में सांड को काबू में करने के विवादास्पद खेल जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटा दिया था। तमिलनाडु के राजनीतिक दल इस प्रतिबंध को हटाने की मांग कर रहे थे। पर्यावरण मंत्रालय ने 2011 की अधिसूचना में थोड़ा बदलाव करके नई अधिसूचना जारी की थी, जिसमें जल्लीकट्टू और देश के कुछ राज्यों में होने वाली परंपरागत बैलगाड़ी दौड़ पर से प्रतिबंध हटा दिया था।