लखनऊ:जनपद सम्भल के रूकनुद्दीन सराय निवासी इब्राहिम मजदूरी करता है, और अपने ही पड़ोसी असलम, अकरम, असरफ के साथ बिहार में एक ईंट भट्टे पर काम करने के लिए गया था वहां से वापस आने पर इब्राहिम ने अपनी मां (सलमा) को बताया कि उसके साथी असलम के पास उसकी मजदूरी का रूपया बाकी है। जब इब्राहिम मजदूरी का रूपया मांगने गया, तो उन लोगों ने उसका बकाया रूपया देने से इन्कार कर दिया और उसे मारपीट कर वहां से भगा दिया। 

वादी ने स्थानीय थाना नखासा में रिपोर्ट दर्ज करायी, लेकिन थाना नखासा द्वारा प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की गयी। कई दिन बीत जाने के बाद जब उसे वहाॅ से न्याय नही मिला तब इब्राहिम की मां सलमा ने पुलिस अधीक्षक, सम्भल के यहां से सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत प्रार्थना-पत्र पर हुई कार्यवाही के सम्बन्ध में जानकारी मांगी, मगर पुलिस अधीक्षक (एसपी), सम्भल के यहाॅ से उसे सूचनाएं प्राप्त नहीं करवायी गयी, निराश होकर वादी ने आरटीआई के तहत राज्य सूचना आयोग में अपना प्रार्थना-पत्र देकर न्याय की मांग की।

राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए, एसपी सम्भल को आदेशित किया कि वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की जांच सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 18 (2) के तहत कराकर उसकी रिपोर्ट 30 दिन के अन्दर आयोग के समक्ष पेश करें, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जाये। आयोग की कड़ी चेतावनी के बाद पुलिस अधीक्षक, सम्भल ने प्रकरण से सम्बन्धी सभी अभिलेख आयोग के समक्ष पेश किये जिसमें एस0पी0 सम्भल द्वारा बताया गया है कि दोनों पक्षों में आपसी समझौता हो गया है, तथा इब्राहिम की मजदूरी का बकाया रूपया भी उसे दिलवा दिया गया है। वादी ने आयोग में उपस्थित होकर बताया है कि वह सूचनाओं से संतुष्ट है, उसे उसकी मजदूरी का रूपया आयोग के आदेश पर मिल गया है।

सूचना आयुक्त श्री उस्मान ने बताया कि आरटीआई का प्रभावी क्रियान्वयन तीव्रगति से हो रहा है कि लोग अपने वाद एवं विभिन्न प्रकार के विवादों के निस्तारण हेतु आर0टी0आई0 का इस्तेमाल करके सूचना आयोग से न्याय हासिल कर रहे है। प्रतिवादी द्वारा आवेदनकर्ता को सूचनाएं न उपलब्ध कराने पर प्रतिवादी जनसूचना अधिकारी को शोकाज नोटिस जारी कर आयोग में सुनवाई हेतु बुलाया जाता है, जनसूचना अधिकारी के आयोग में न आने पर सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत अर्थदण्ड तथा धारा 20 (2) के तहत विभागीय कार्यवाही एवं आर0टी0आई0 एक्ट के तहत उचित कार्यवाही कर आवेदनकर्ता को सूचनाएं उपलब्ध कराकर वादों का निस्तारण कराया जा रहा है।