नई दिल्ली। दुनियाभर में कच्चे तेल के दाम गुरुवार को 33 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गए हैं। 11 सालों में पहली बार हुआ है कि कच्चे तेल के दाम इतने नीचे तक चले गए हैं। तेल के दामों में गिरावट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिया बाहुल इरान और सुन्नी बाहुल सऊदी अरब के बीच तनाव के चलते हुई है। दोनों देश दुनिया में सबसे ज्यादा तेल का उत्पादन करते हैं।

हालांकि, कच्चे तेलों के दामों में गिरावट भारत के लिए अच्छी खबर है क्योंकि दुनिया के सबसे तेल का आयात करने वाले देशों में से एक है भारत है और गिरावट के चलते सरकार को अरबों डॉलर की बचत हो रही है। कच्चे तेल की गिरती कीमतों के चलते देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती हो सकती है। यही नहीं, विमानन की टिकटों में 15 प्रतिशत की कटौती हो सकती है।

कच्चे तेल की कीमतें मध्य 2014 से अबतक 70 प्रतिशत तक गिर चुकी हैं। साथ ही, कच्चे तेल की मांग में गिरावट देखी जा रही है, खासकर एशियाई देशों में जहां सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन की अर्थव्यवस्था में भी गिरावट देखी जा रही है।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से पेंट, टायरों कीमतों में कमी आ सकती है। दामों में कमी से इन सेक्टरों में कच्चे माल की लागत घटती है और कंपनी के मार्जिन बढ़ते हैं। यहीं नहीं, तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी कर उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचा सकती हैं।