जस्टिस लोढ़ा कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की रिपोर्ट, सट्टेबाज़ी को वैद्य करने की सिफारिश 

नई दिल्ली। बीसीसीआई में भ्रष्टाचार के मामले पर गठित जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी आज अपनी सिफारिश रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट से लगातार मिल रहे झटके के बाद फिलहाल दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बैकफुट पर है। माना जा रहा है कि जस्टिस लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट में भी बीसीसीआई के संविधान और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। यानि माना जा रहा है कि कोर्ट से बीसीसीआई को और गंभीर झटका लगने  वाले हैं।

जस्टिस आर एम लोढ़ा ने प्रेस कांफ्रेंस कर कमेटी की जांच को विस्तार से बताया। कमेटी ने 26 जनवरी 2015 से काम शुरू किया। पहली सुनवाई में अध्यक्ष, सचिव खुद पेश नहीं हुए। दोनों ने हमारे सवालों के जवाब भेजे। कमेटी ने बीसीसीआई के अधिकारियों से बात की। सुधार पर 6 पूर्व कप्तानों से भी बात की। शशांक मनोहर ने सुझाव दिए। हमने पूर्व खिलाड़ियों और खेल पत्रकारों से भी बात की। कमेटी ने कुल 37-38 मीटिंग की।

जस्टिस लोढ़ा ने बताया कि उन्होंने सिफारिश की है कि बीसीसीआई और आईपीएल के लिए अलग-अलग बोर्ड हो। बीसीसीआई की काउंसिल में एक महिला सदस्य हो। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल में 9 सदस्य हों। सीएजी ऑफिस से भी एक सदस्य हो। 5 सदस्य वोटिंग के जरिए चुने जाएं। 2 सदस्य आईपीएल फ्रेंचाइजी के हों।

भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ महीनों से चल रही भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की कोशिशों का असर दिखने लगा है। हालांकि अभी जो दिख रहा है वो महज शुरुआत है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की दखल और जस्टिस मुकुल मुद्गल कमेटी की सख्ती के बाद सबको पता है कि जस्टिस आर एम लोढ़ा की कमेटी से भी बोर्ड को कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

पिछले साल कोर्ट की सख्ती के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड में काफी बदलाव हुए। अक्टूबर में बीसीसीआई प्रमुख चुने जाने के बाद शशांक मनोहर ने भी बोर्ड की छवि सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन सुधार की कोशिशों का नतीजा आना अभी बाकी है। पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद का कहना है कि हितों के टकराव का मुद्दा भी बार-बार बीसीसीआई के सामने आर रहा है और इस पर भी कोई बड़ी सिफारिश हो सकती है।

जस्टिस लोढ़ा रिपोर्ट की मुख्‍य बातें… 

  • बीसीसीआई पदाधिकारियों तथा पूर्व कप्तानों से बातचीत की।
  • आईपीएल तथा नॉन-आईपीएल क्रिकेट गतिविधियों के लिए दो एक्ज़ीक्यूटिव बॉडी होनी चाहिए।
  • इतिहास में पहली बार बीसीसीआई में खिलाड़ियों की एसोसिएशन भी बनेगी, लेकिन यूनियन नहीं होगी।
  • शशांक मनोहर ने कुछ प्रस्तावों पर पहले ही अमल किया है।
  • प्रबंधन (मैनेजमेंट) और प्रशासन (गवर्नेन्स) को अलग-अलग होना चाहिए।
  • BCCI के लोगों से भी कमेटी ने बात की। कपिल देव, सौरव गांगुली, बेदी से भी बात की।
  • एक राज्य में एक क्रिकेट संघ हो।
  • सभी को वोट देने का हक़ हो।
  • खिलाड़ियों के हित को ध्यान रखा जाए।
  • टेस्ट क्रिकेटर ही चयनकर्ता बने।
  • टीम चयन और कोचिंग पूर्व क्रिकेटर करें।
  • देश में क्रिकेट को क्रिकेटर ही चलाएं।
  • राज्य संघ में पूर्व क्रिकेटर शामिल हो।
  • फ़िक्सिंग रोकने के लिए उठाए कदम।
  • RTI के दायरे में हो बीसीसीआई।
  • मंत्री-अफ़सर बीसीसीआई में न हों।
  • सट्टेबाज़ी को वैध बनाने का सुझाव।
  • बीसीसीआई की स्वायत्तता बनी रहे।