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मालदारों को अब नहीं मिलेगी LPG पर सब्सिडी

नई दिल्ली : मोदी सरकार ने रसोई गैस की सब्सिडी पर एक बड़ा फैसला लेते हुए ऐलान किया है कि आगामी एक जनवरी से 10 लाख से अधिक सालाना की कमाई करने वाले उपभोक्ताओं को रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी नहीं मिलेगी। 

सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। नए एलपीजी कनेक्शन पर सब्सिडी लेने के लिए अब उपभोक्ताओं को स्व घोषणा में बताना होगा कि उसकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपए से कम है।

पिछले महीने ही केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा था कि एनडीए सरकार उन उपभोक्ताओं की एलपीजी सब्सिडी हटाने पर विचार कर रही है, जिनकी सालाना आय 10 लाख रुपये से अधिक है। फिलहाल सरकार उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर साल में 12 सिलेंडर देती है। इससे ज्यादा उपयोग करने पर ग्राहकों को बाजार मूल्य पर सिलेंडर मिलते हैं। दिल्ली में फिलहाल सब्सिडी वाले एक एलपीजी सिलेंडर की कीमत 417.82 रुपये और बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत 606.50 रुपये पड़ता है। सरकार इन सिलेंडरों पर सब्सिडी के पैसे सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खाते में ट्रांसफर करती है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि जहां कई उपभोक्ताओं ने स्वैच्छिक रूप से सब्सिडी छोड़ी है, वहीं यह जरूरत महसूस की जा रही है कि उच्च आय वर्ग के लोगों को एलपीजी सिलेंडर बाजार कीमत पर मिलना चाहिए।

सरकार ने कहा है कि यदि उपभोक्ता या उसके पति या पत्नी की सालाना कर योग्य आय पिछले वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक रही है तो उनको एलपीजी सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा। इस आय की गणना आयकर कानून, 1961 के तहत की जाएगी।

हालांकि, शुरुआत में इस योजना को जनवरी में सिलेंडर की बुकिंग कराते समय स्वघोषणा के आधार पर लागू किया जाएगा। सब्सिडी बिल में कटौती तथा राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने सितंबर, 2012 में प्रत्येक परिवार के लिए सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या सालाना छह कर दी थी। बाद में जनवरी में इसे संशोधित कर नौ किया गया। जनवरी, 2014 में इसे एक अप्रैल से सालाना 12 सिलेंडर किया गया। 

सालाना 12 सिलेंडरों की सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में डाली जाती है, जिसके जरिये वे बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदते हैं। वित्त वर्ष 2014-15 में एलपीजी के लिए 40,551 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भुगतान किया गया। इस वित्त वर्ष में यह आधी से भी कम रहेगी क्योंकि तेल कीमतें छह साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। अप्रैल-सितंबर के दौरान सब्सिडी खर्च 8,814 करोड़ रुपये रहा है। इस बारे में कोई अनुमान नहीं है कि कितने एलपीजी उपभोक्ताओं की सालाना कर योग्य आय 10 लाख रुपये या अधिक है।

फिलहाल देश में 16.35 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं। एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटीएल) योजना शुरू होने के बाद यह आंकड़ा घटकर 14.78 करोड़ रह गया है क्योंकि इससे डुप्लिकेट और निष्क्रिय उपभोक्ता बाहर हो गए हैं। बयान में कहा गया है कि इस योजना का मकसद यह है कि सब्सिडी लाभ लक्षित समूह तक पहुंचे।

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