यूपी में अक्षय ऊर्जा की सम्भावनाओं को तलाशने के लिये एसोचैम अध्ययन पत्र जारी किया 

लखनऊ: एसोसिएटेड चैम्बर्स आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री आॅफ इण्डिया (एसोचैम) ने उत्तर प्रदेश में बिजली की समस्या के समाधान के लिये एक ऐसी व्यापक अक्षय ऊर्जा नीति बनाने की जरूरत पर जोर दिया है जो इलेक्ट्रिक तथा गैर-इलेक्ट्रिक एप्लीकेशंस के लिये राज्य के सभी साध्य संसाधनों के एकीकृत विकास को बढ़ावा दे।

उत्तर प्रदेश में अक्षय ऊर्जा की सम्भावनाओं को तलाशने के लिये एसोचैम द्वारा तैयार कराये गये अध्ययन पत्र ‘रोडमैप फाॅर टैपिंग रिनिवबल एनर्जी पोटेंशियल इन उत्तर प्रदेश‘ में कहा गया है कि ‘‘उत्तर प्रदेश में बिजली तथा तापीय ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने की असीम सम्भावनाएं हैं।’’

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने आज लखनऊ में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह अध्ययन पत्र जारी करते हुए कहा कि ‘‘उत्तर प्रदेश में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये सम्पूर्ण संसाधन क्षमता पर आधारित अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास के लक्ष्यों से युक्त एक स्पष्ट कार्ययोजना बनाना लाजमी है।’’

श्री रावत ने कहा ‘‘उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2022 तक सौर ऊर्जा से 10 हजार 697 मेगावाॅट, बायोमास पुनरुत्पादन से 3500 मेगावाॅट तथा लघु पन बिजली परियोजना से 25 मेगावाॅट समेत कुल 14 हजार 194 मेगावाॅट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस प्रकार सौर ऊर्जा क्षेत्र की वास्तविक सम्भावनाओं के अनुकूलतम दोहन के लिये बहुत बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी।’’

एसोचैम का सुझाव है कि राज्य की अक्षय ऊर्जा नीति ऐसी हो जो नेट मीटरिंग, छतों पर सौर संयंत्र लगवाने के लिये फीड-इन टैरिफ, ग्रिड एकीकरण तथा निकासी, पुनर्संरचित तथा प्रवर्तनीय अक्षय खरीद दायित्व (आरपीओ) जैसे जटिल पहलुओं पर सार्थक योजना पेश करती हो। उसका अनुपालन सुनिश्चित हो और राज्य में अक्षय ऊर्जा उत्पादन का बेहतर पूर्वानुमान लगाने के लिये एक समाधान का विकास हो सके।

एसोचैम ने प्रदेश सरकार को ‘कुकिंग एनर्जी मिशन’ (पाक ऊर्जा अभियान) शुरू करने सुझाव भी दिया है। उद्योग मण्डल का मानना है कि इससे ईंधन आपूर्ति श्रंखला समर्थित पाक प्रणाली का चलन बढ़ेगा और ऊर्जा के आधुनिक स्रोतों के इस्तेमाल में तेजी आएगी। इसके अलावा, अक्षय ऊर्जा के अंगीकार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये इस मिशन में नवोन्मेषी व्यापार माॅडल, वित्तीय प्रणाली तथा प्रौद्योगिकियों के मानकीकरण की रणनीति का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये।

श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार को माइक्रो-ग्रिड के विकास के लिये एक स्पष्ट रणनीति बनाने की जरूरत होगी। अक्षय ऊर्जा को लेकर एक माइक्रो-ग्रिड आधारित नेटवर्क स्थापित करने से विद्युत सेवा प्रावधान को और प्रभावी बनाया जा सकता है। साथ ही इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। एसोचैम ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक ऐसी राज्यस्तरीय कार्ययोजना लागू करने का भी सुझाव दिया है जो शहरी तथा अविद्युतीकृत ग्रामीण घरों में बिजली पहुंचाने के लक्ष्यों पर आधारित हो। इसके अलावा, राज्य का ग्रिड ढांचा और भी मजबूत किया जाना चाहिये। साथ ही सभी सौर तथा वायु ऊर्जा संयंत्रों में आधुनिक डाटा माॅनीटरिंग प्रणाली की स्थापना को अनिवार्य बनाया जाना चाहिये। इसके अलावा जरूरी ग्रिड निकासी युक्त सौर पार्कों की स्थापना भी की जानी चाहिये।

एसोचैम के अध्ययन पत्र के अनुसार सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों को राज्यों में सहायक इकाइयां स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इसके लिये उन्हें प्रोत्साहन राशि या रियायतें तथा अन्य सुविधाएं दी जानी चाहिये, जिनका मकसद प्रदेश में एक मजबूत अक्षय ऊर्जा उत्पादन आधार तथा आपूर्ति श्रंखला तैयार करना होना चाहिये। एसोचैम ने निजी क्षेत्र को भागीदारी के लिये प्रोत्साहित करने और राज्य में विकास में तेजी लाने लायक ढांचा तैया करने के लिये ‘इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काॅम्पेनसेटरी अलाउंस’ (ढांचा विकास प्रतिपूर्ति भत्ता) देने का भी सुझाव दिया है।