लखनऊ: खुद को किसानों का हितैषी होने का दंभ भरने वाली समाजवादी पार्टी अपने शासनकाल में सबसे ज्यादा किसानों के प्रति उदासीन है। एक तरफ जहां प्रदेश सरकार और चीनी मिल मालिकों की मिलीभगत के चलते आज गन्ना किसान अपनी फसल को औने-पौने दामों पर बिचौलियों एवं कोल्हू पर बेंचने के लिए मजबूर हैं वहीं गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित न होने के कारण भुगतान न मिलने के चलते दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं।  

प्रदेश कंाग्रेस के मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन वीरेन्द्र मदान ने जारी बयान में कहा कि विगत वर्षों की तरह बड़ी मुश्किल से गन्ना किसानों की तैयार फसल को मिलों द्वारा खरीदने के नाम पर रो-धोकर मिलों द्वारा पेराई तो शुरू की गयी है, किन्तु पूरी तरह से अव्यवस्थित है, क्योंकि किसानों से गन्ना खरीदकर मिलों द्वारा भुगतान करने के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य घोषित न किये जाने का बहाना बनाकर इसी वर्ष का लगभग गन्ना किसानेां का 3हजार करोड़ रूपये का भुगतान लम्बित हो गया है, जिसके चलते गन्ना किसान दोहरी मार झेलने को विवश हो हैं। 

 प्रवक्ता ने कहा कि एक तरफ सरकार चीनी मिल मालिकों पर कड़े निर्देश जारी करने की बात करती है दूसरी तरफ प्रदेश सरकार की ही किसानेां के प्रति उदासीनता का लाभ उठाते हुए चीनी मिल मालिक अपनी मनमर्जी करने पर उतारू हैं। ऐसा लगता है समाजवादी पार्टी सरकार चीनी मिल मालिकों के आगे पूरी तरह नतमस्तक हो चुकी है, जिसका उदाहरण मा0  उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद भी चीनी मिल मालिकों द्वारा विगत वर्ष का गन्ना बकाये का भुगतान अभी तक न किया जाना है।  

कंाग्रेस पार्टी मांग करती है कि प्रदेश सरकार अविलम्ब गन्ने का समर्थन मूल्य 350 रूपये प्रति कुन्तल घोषित करते हुए चीनी मिलों द्वारा इस वर्ष लिये जा रहे गन्ने का तुरन्त भुगतान किये जाने व विगत वर्षो के लगभग 1800 करोड़ रूपये बकाये का भुगतान सुनिश्चित कराने के साथ ही साथ पेराई सत्र को व्यवस्थित कराने व अब तक न चालू हुए मिलों पर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए उन्हें शुरू कराये।