लखनऊ: पिछड़ा समाज महासभा के राष्ट्रीय महासचिव शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि वर्ष 2017 में विधान सभा का चुनाव आ रहा है इसलिये भाजपा मन्दिर निर्माण का राग अलापना शुरू कर दिया है ताकी पूर्व के भांति पिछड़ो व दलितों को बली बकरा बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकें जिस तरह से तीन प्रतिशत के लोग हिन्दूत्व के नाम पर इन तबको के लोगों को बेवकूफ बनाकर इनको गुलाम बनाकर रखना चाहते है।  लेकिन अब ऐसा नही होगा अब पिछड़े व दलित मन्दिर के नाम पर किसी भी तरह की भागीदारी नही करेंगे यादि मन्दिर बनाना है तो ब्राह्मण खुद मन्दिर बनाये उसमें पिछड़ों और दलितों को कोई भी रोल नही होगा। पिछड़े दलित जब मन्दिर नही जा सकते तो वो मन्दिर बनाने क्यों जायेंगे। कुशवाहा ने यह भी कहा कि भाजपा व उसके सहयोगी संगठन का अपना संविधान है देश के कानून व संविधान से उनका कोई लेना देना नही है। जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो मन्दिर बनाने की बात क्यों कही जा रही है। इसका मतलब है कि उन्हें न्याय पालिका, संविधान से यह लोग ऊपर है। इन लोगों को खुली छूट दे रखी गयी है यह देश में कुछ भी करे इन पर किसी तहर की कार्यवाही नही होगा। जैसा की इतिहास साक्षी है वर्ष 1925 से लगातार यह लोग अपने वर्चस्व के लिए लोगों का कत्ले आम इलाके के इलाके फूकवाते चले आये है फिर भी इन पर कोई कार्यवाही न होने के कारण इनके हौसले लगातार बुलन्द हो रहे है।

कुशवाहा ने यह भी कहा जिस तरह एक बहेलिया जाल में दाना डालकर पंक्षिया को फासता है ठीक उसी तरह यह तीन प्रतिशत के लोग पिछड़ों व दलितों को हिन्दूत्व के नाम पर धर्म का दाना डालकर फसाता है और लूटते है। पिछड़ों व दलितों को इन बहेलियों से सतर्क रहने की जरूरत है।

कुशवाहा ने राम मन्दिर के नाम पर अरबों रूपये जनता से वसूल किया था वह रूपया कहा गया इसका हिसाब जनता को देना होगा। ऐसा लगता है मन्दिर के नाम पर फिर वसूली करने का अभियान फिर शुरू होगा। पिछड़ो व दलितों से अपील की है कि मन्दिर के नाम पर कोई चन्दा न दे और मन्दिर निर्माण में ऐसा कोई कार्य न करे जिससे देश में अशान्ति फैले।

कुशवाहा ने न्यायपालिका से अपील की है जिस तरह अयोध्या में मन्दिर के निर्माण की बात कही जा रही है स्वतः संज्ञान में लेकर इन लोगों पर कार्यवाही करें अन्यथा यह पूरे देश को जलाकर राख कर देंगे।

 कुशवाहा ने यह भी कहा कि पिछड़े व दलित हिन्दू नही है। जैसे कि मनु स्मृति से स्पष्ट है। इन तीन प्रतिशत के लोगों के बहकाये में ना आये बल्कि इस देश में आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी लेने के लिए सड़कों पर उतरे वरना गुलाम ही बने रहेंगे।