लखनऊ: देश व प्रदेश के किसान सरकारों के उदासीन रवैये के चलते बद से बदतर हालातों में जीने को मजबूर हैं। किसानों को खेती में लगातार नुकसान हो रहा है। किसानों को फसलों का लागत मूल्य भी साल भर कड़ी मेहनत करने के बाद भी नहीं मिल पा रहा है, न ही सरकारें किसानों को डीजल, खाद, बीज, बिजली, समय पर उपलब्ध करवा रही है। जिसके चलते प्रदेश  का किसान आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर है। यह बात शनिवार को किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में व्यक्त करते हुए कहा कि 21 दिसम्बर को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर किसानों की मांगों को लेकर किसान मंच के कार्यकर्ता एकत्र होने एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना मांग पत्र सौंपेंगे। 

श्री दीक्षित ने कहा कि बेमौसम वर्षा एवं सूखे में किसानों की फसलें तबाह हो गई थीं। जिसके मुआवजे का एलान सूबाई सरकार ने किया था लेकिन थोड़े ही किसानों तक यह लाभ पहुंचा और अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। मुआवजे वितरण में कई तरह की धांधलियां उजागर हो रही हैं। आम किसान मुआवजे से महरूम है। खराब फसलों से आहत कई किसानों ने आत्महत्या तक कर ली। प्रदेश की सरकार के लिए यह शर्म की बात है कि आत्महत्या करने वाले परिवारों के घर कोई नेता या सरकारी सेवक नहीं पहुंचा। न ही उसकी समस्या को समझाने का प्रयास किया। किसान मंच ने अपने मांग पत्र में आत्महत्या करने वाले किसानों को 15-15 लाख की मांग तथा परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी सेवा में रखने की मांग की है। शेखर दीक्षित ने कहा कि मुआवजा वितरण में भ्रष्टाचार किया गया है इसकी जांच कराई जाए। गन्ना किसानों का भुगतान अविलम्ब कराया जाए। किसान आयोग का गठन किया जाए। प्रत्येक किसानों को 2000 रुपए प्रति माह जीवन-यापन के लिए भत्ता दिया जाए। जब तक किसानों की माली हालत न सुधर जाए। गन्ने का समर्थन मूल्य 400 रुपए प्रति कुंतल किया जाए। गेहूं, धान की फसलों का मूल्य डेढ़ गुना किया जाये।