लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार सभी 14 राज्य विश्वविद्यालयों, 138 राजकीय डिग्री कॉलेजों व 331 सहायता प्राप्त अशासकीय डिग्री कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों की रिटायर होने की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने की तैयारी में है। इसके अलावा डिग्री कॉलेजों के प्राचायार्ें को प्रोफेसर पदनाम भी दिया जाएगा। इससे उनके भी कुलपति बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।

प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई बैठक में बनी सैद्धांतिक सहमति के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की कवायद में जुट गया है। उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार बैठक में तय किया गया था कि कार्मिक व वित्त विभाग की राय लेने के बाद प्रस्ताव अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा जाए। बैठक में शिक्षक संघों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। वे लंबे समय से रिटायर होने की उम्र 65 वर्ष किए जाने की मांग कर रहे हैं। 

इसके अलावा वे डिग्री कॉलेजों में भी प्रोफेसर का पद दिए जाने तथा पहले से ही प्रोफेसर का वेतनमान पा रहे प्राचायार्ें को प्रोफेसर का पदनाम भी दिए जाने की मांग कर रहे हैं। शासन ने फिलहाल प्राचायार्ें को प्राचार्य / प्रोफेसर का पदनाम देने पर सहमति जताई है। प्रोफेसर का पदनाम सिर्फ उन्हीं को मिलेगा जो बाकायदा उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयनित होंगे। डिग्री कॉलेजों में फिलहाल एसोसिएट प्रोफेसर तक के ही पद होंगे।

प्रोफेसर का पदनाम न मिलने की वजह से डिग्री कॉलेजों के प्राचार्य कुलपति पद की दौड़ में शामिल नहीं हो पाते हैं, क्योंकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कुलपति के लिए प्रोफेसर के तौर पर 10 वर्ष का अनुभव होने की शर्त लगा रखी है। अब प्राचार्य के तौर पर काम करने का अनुभव कुलपति बनने के काम आ सकेगा।