दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल में ‘‘जलसा सीरतुन्नबी व तहफ्फुजे शरीअत’’ का आयोजन

लखनऊ: दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल के अंतर्गत अल्लामा अब्दुर्रशीद फरंगी महली हाल में माह-ए-रबी उल अव्वल की प्रासंगिकता से दूसरे जलसे सीरतुन्नबी (सल्ल0) का आयोजन किया गया। जलसे को खिताब करते हुए दारूल उलूम निजामिया फंरगी महल के अध्यापक मौलाना मुहम्मद सुफयान निजामी ने कहा कि सीरते नबवी (सल्ल0) का हर पहलू रौशन और उज्जवल है और दुनिया के तमाम इन्सान के लिए चाहे उस का सम्बन्ध जिन्दगी के किसी भी वर्ग से हो, एक आइडियल है। अगर कोई व्यापारी है वह हुजूर (सल्ल0) के व्यापार करने के तरीके को देखे, अगर कोई शिक्षक है है तो वह सुफ्फा-ए-नबवी के शिक्षक (सल्ल0) की सीरत का अध्ययन करे, अगर कोई सेना प्रमुख है तो वह बद्र व हुनैन के सालार-ए-लश्कर (सल्ल0) के जीवन का अध्ययन करे, अगर कोई शौहर है तो वह अजवाज-ए-मुताहिरात के सरताज (सल्ल0) के अखलाक व किरदार को देखे, अगर कोई बाप है तो वह फातिमा के वालिद (सल्ल0) को देखे, अगर किसी का कोई दोस्त है तो वह अबू बक्र सिद्दीक़ रजि0 के दोस्त (सल्ल0)  को देखे।

मौलाना ने कहा कि आज जरूरत इस बात कि है कि सीरत-ए-नबवी स0 के तमाम पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया जाए और दुनिया के बसने वाले सारे इंसानों तक अल्लाह के रसूल का पैग़ाम पहुंचाया जाए।