नई दिल्ली: आयकर मामलों में हल्के-फुल्के मुद्दों पर कानूनी विवाद बढ़ाने की प्रवृत्ति पर रोक के लिए सीबीडीटी ने अपील के मामलों के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ा दी है। इसके तहत आयकर अधिकारी अब आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में 10 लाख रुपये या उससे अधिक के विवाद पर ही मामला ले जा सकेंगे। इसी तरह हाईकोर्ट में न्यूनतम 20 लाख या उससे ऊपर के मामले में अपील की जा सकेगी।

इससे पहले, अधिकारियों को अनुमति थी कि वे 4 लाख रुपये या उससे ऊपर के मामलों में न्यायाधिकरण में तथा 10 लाख रुपये या उससे ऊपर के मामलों में हाईकोर्ट में अपील कर सकते थे। आयकर विभाग की नीति नियामक संस्थान केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 10 दिसंबर को जारी दिशा-निर्देशों में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए मौजूदा 25 लाख रुपये की मौद्रिक सीमा को बरकरार रखा है।

अपील के लिए अधिकारियों की मौद्रिक सीमा को पिछले साल मध्य में संशोधित किया गया था। अधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मौद्रिक सीमा में फिर से संशोधन किया गया है, ताकि विभाग कर संबंधी मामलों में मुकदमेबाजी का प्रबंध बेहतर ढंग से कर सके। मुकदमों के प्रबंध को लेकर संसद की समितियों और सरकारी अंकेक्षक कैग ने विभाग की कई बार आलोचना की है।

करदाता आयकर अधिकारी के आकलन के खिलाफ सबसे पहले आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष मामला ले जा सकते हैं। उसके बाद विवाद अपीलीय प्राधिकरण, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जाता है। सीबीडीटी ने अधिकारियों से कहा है कि राजस्व संबंधी मामलों में ये अधिसूचित न्यूनतम मौद्रिक सीमाएं केवल एक पथ संकेत हैं, पर किसी मामले में गुण-दोष सबसे महत्वपूर्ण विषय वस्तु है, जिसका अनुसरण किया जाना चाहिए।