दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल के अंतर्गत ‘‘जलसा सीरतुन्नबी व तहफ्फुजे शरीअत’’ का आयोजन

लखनऊ: खुदा पाक ने नबी पाक सल्ल0 को जो शरीअत दी है वह कयामत तक बाक़ी रहने वाली शरीअत घोषित की है। शरीअत-ए-इस्लामी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हर क्षेत्र और हर देश के लोगों के लिए सामान रखा है। इसी बिना पर नबी करीम  सल्ल0 को आखिरी रसूल घोषित किया गया। आप सल्ल0 की शरीअत को एैसी मुकम्मल शरीअत बनाया गया जिसमें अब कोई बदलाव नही होना है और इस्लामी आदेश की हिफाजत इसी शरीअत में रखी गयी है। इस लिए इसको जानना और अपने जीवन को इसी के अनुसार ढ़ालना एक मुसलमान की हैसियत से हम सब पर अनिवार्य है।

इन ख्यालात का इज्हार दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल के प्रधानाचार्य मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी ने किया। वह आज दारूल उलूम के अन्र्तगत अल्लामा अब्दर्रशीद फरंगी महली हाल में माह रबी उल अव्वल के अवसर पर ‘‘जलसा सीरतुन्नबी स0 व तहफ्फुजे शरीअत’’ का आयोजन किया गया। 

मौलाना ने कहा कि नबी पाक सल्ल0 की लायी हुई शरीअत दुनिया के तमाम इंसानों के लिए चाहे वह मुसलमान हों या गैर मुस्लिम, दुनिया के किसी क्षेत्र के नागरिक हों सब के लिए एक बड़ा उपहार है। 

उन्होने कहा कि रसूल पाक सल्ल0 की लायी हुई शरीअत पर सबसे पहले इंसानों की जिस जमाअत ने पूरी तरह से अमल किया वह पाक जमाअत सहाबाक्राम रजि0 की है। इंसानों की वह पाकीजा जमाअत हम सब के लिए नमूना है।