सीवान: सीवान में हुए चर्चित तेजाब कांड में विशेष अदालत ने पूर्ब सांसद शहाबुद्दीन समेत चार को उम्रकैद व जुर्माने की सजा सुनाई है। जज अजय कुमार श्रीवास्तव ने शुक्रवार को शहाबुद्दीन के अलवा राजकुमार साह, आरिफ व शेख असलम को उम्रकैद व दस-दस हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है।

शहाबुद्दीन पर 302, 201, 364ए व 120बी के तहत शहर के व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो पुत्रों गिरीश राज व सतीश राज का अपहरण कर तेजाब से नहलाकर हत्या करने व साक्ष्य मिटाने का आरोप लगाया गया था। वही अन्य आरोपित राजकुमार साह, आरिफ व शेख असलम को दफा 302 व 201 से मुक्त करते हुए अपहरण करने का आरोप लगाया गया है। यानि शहाबुद्दीन व अन्य आरोपितों को अलग-अलग दफा में दोषी करार दिया गया है।

घटना के बाद तीसरा चश्मदीद गवाह राजीव रौशन घर छोड़ कर गोरखपुर भाग गया था। वह डर से सीवान नहीं आना चाहता था। जब पुलिस ने इस कांड में शहाबुद्दीन का नाम लिया तब जाकर राजीव रौशन गवाही देने घटना के सात वर्ष बाद सीवान आया। दोनों अपहृत का बड़ा भाई राजीव रौशन ने खुद को चश्मदीद गवाह बताते हुए कोर्ट में उपस्थित हुआ। उसने गवाही में शहाबुद्दीन द्वारा दो लाख की रंगदारी मांगने व प्रतापपुर में उपस्थित होकर दोनों भाइयों को तेजाब से नहलाकर हत्या करने का आरोप लगाया था। उसने साक्ष्य मिटाने का भी आरोप लगाया था।

11 साल पहले व्यवसायी चंदा बाबू के गौशाला रोड में निर्माणाधीन मकान के विवाद के निपटारे के लिए 16 अगस्त 2004 को पंचायती के दौरान मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान तेजाब फेंकने से कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गये।

कारोबारी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों गिरीश और सतीश को 16 अगस्त 2004 को किडनैप करने के बाद सीवान के प्रतापपुर में तेजाब से नहलाकर हत्या कर दी गई थी। दो लड़कों की हत्या के मामले में सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को कोर्ट ने दोषी माना था। सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से 2004 में हुई इस घटना के वक्त शहाबुद्दीन जेल में थे। लेकिन फैसले से साबित हो गया है कि जेल एडमिनिस्ट्रेशन झूठ बोल रहा था।

सीवान का यह मामला तेजाब कांड के नाम से जाना जाता है। घटना के पीछे प्रॉपर्टी का विवाद था। 16 अगस्त 2004 को कारोबारी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों गिरीश और सतीश को उनकी दुकान से किडनैप किया गया था। दोनों लड़कों को सीवान के प्रतापपुर गांव ले जाया गया। जहां तेजाब डालकर उनकी हत्या कर दी गई। कोर्ट के सामने मारे गए लड़कों के भाई ने आई विटनेस के तौर पर कहा कि घटना के वक्त शहाबुद्दीन भी मौजूद थे। और उनके कहने पर ही दोनों लड़कों का मर्डर किया गया। पूर्व सांसद के साथ चार और लोगों को भी दोषी ठहराया गया है। जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा था कि घटना के वक्त पूर्व सांसद जेल में थे। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।

इसका मतलब यह हुआ कि शहाबुद्दीन केवल कागजी तौर पर जेल में थे। हकीकत में वह उस जगह मौजूद थे, जहां दोनों लड़कों को तेजाब डालकर मार डाला गया था। फैसले से साबित हो जाता है कि जेल प्रशासन शहाबुद्दीन को बचाने की कोशिश कर रहा था।