बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2012 और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं सुरक्षा) विधेयक, 2014 में प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में 17 राज्यों के बालाधिकारी के 17 राज्यों के आयोग और महत्वपूर्ण सिविल सोसायटी भागीदारों सहित गैर-सरकारी संगठन ने भाग लिया। इस अवसर पर श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय द्वारा पिछले पांच वर्षों में बचपन बचाओं आंदोलन के महत्वपूर्ण कार्य को दर्शाने वाली रिपोर्ट को जारी किया गया था।
“खतरनाक और पारिवारिक व्यवसायों में बच्चों द्वारा काम“ विषय पर रिपोर्ट दर्शाती है कि जनवरी, 2010 से दिसंबर, 2014 तक BBA द्वारा 18 वर्ष की आयु के 5300 बच्चों को बचाया गया। इनमें से 80 प्रतिशत अधिक बच्चें 14 वर्ष से कम आयु के है।
चर्चा में नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा “14 से 18 आयु के बीच के इन 80 प्रतिशत से अधिक बच्चों को BBA द्वारा बचाया नहीं जा सकता यदि में CLPRA प्रस्तावित संशोधन कानून बन गए होते। यद्यपि मैं सैद्धांतिक रूप से सहमत हूं कि 14 वर्ष तक के बाल श्रम का पूर्ण रूप से निषेध होना चाहिए लेकिन प्रस्तावित संशोधन में संदेहास्पद क्षेत्रों से बाल श्रम समाप्त करने का उद्देश्य विफल हो जाएगा। खतरनाक पेशों और प्रक्रियाओं की सूची को 83 से घटाकर 3 करने से बच्चों की बहुत अधिक संख्या का शोषण किया जा सकेगा,“ ।
चर्चा में एकमत से कमी की ओर संकेत किया गया कि यह बाल अधिकार संगठनों की बच्चों को बचाने एवं सुरक्षा की क्षमता को अत्यधिक रूप प्रभावित करता है। BBA के आंकड़े दिखाते हैं कि लगभग 80 प्रतिशत बाल श्रमिकों को रिहायशी क्षेत्रों में कार्यरत इकाइयों से बचाया गया था। प्रस्तावित संशोधन बच्चों को स्कूल के बाद के समय और अवकाश में परिवार की सहायता करने की अनुमति देता है।
हाल ही सरकारी अनुमान सुझाते हैं कि बाल श्रमिकों की संख्या 4.3 मिलियन है। BBA द्वारा 2011 के जनसंख्या आंकड़ों का गहन विश्लेषण सुझाता है कि भारत में कम से कम 11.7 मिलियन बच्चें काम कर रहे हैं अथवा काम करना चाहते हैं। ये बच्चें प्रस्तावित संशोधन से सुरक्षित नहीं रहेंगे।
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