काठमांडू। नेपाल ने रविवार को बड़ा कदम उठाते हुए अपने देश में सभी भारतीय न्यूज चैनलों को बंद कर दिया। बता दें कि इससे पहले भी नेपाल के केबल ऑपरेटर्स ने 42 भारतीय चैनलों को ब्लॉक कर दिया था। नेपाल का कहना है कि भारत ने नेपाल में आपूर्ति बाधित करने के लिए अघोषित रूप से नाकेबंदी कर रखी है। दक्षिण नेपाल में नए संविधान को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। नेपाल में माओवादी पार्टियों ने भारतीय सिनेमा और टीवी चैनल्स का खुलेआम विरोध किया था। उस वक्त नेपाल केबल टेलिविजन के प्रेजिडेंट ने कहा था कि यह बंदी बेमियादी होगी। नेपाल का कहना है कि भारत उनकी संप्रभुता पर अटैक कर रहा है। काठमांडू के सिनेमा हॉलों में भारतीय फिल्मों की प्रदर्शनी भी रोक दी गई थी। गौरतलब है कि नेपाल के नए संविधान को लेकर भारत भी समहत नहीं है। हालांकि भारत किसी भी तरह की नाकेबंदी से इनकार कर रहा है।

बताते चलें कि नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में भारतीय चैनल लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। नेपाली नेता भारत पर उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा रहे हैं। भारत ने नए सविंधान को लेकर नेपाल के सामने मधेसियों के लिए अपनी चिंता स्पष्ट कर दी है। नए संविधान को लेकर नेपाल में पुलिस और मधेसियों के बीच झड़प में अब तक 50 लोगों की जान जा चुकी है। नेपाल व्यापक से रूप से भारत पर कई मामलों में निर्भर है। नेपाल के लोगों में गुस्सा है कि भारत के कारण यहां जरूरी सामानों की किल्लत हो गई है।

सरहद पर नाकेबंदी के कारण नेपाल को व्यापक रूप से ईंधन और खाद्य किल्लत का सामना करना पड़ा रहा है। नेपाल ईंधन के लिए चीन की मदद ले रहा है। नेपाल एक “लैंड लॉक्ड” देश है यानि यह चौतरफा भारत से घिरा हुआ है। हालांकि इसकी एक सीमा इसकी तिब्बत से लगती है। चीन तिब्बत के रास्ते ही नेपाल को मदद पहुंचा रहा है। हालांकि तिब्बत के जरिए चीन का नेपाल पहुंचना बहुत दुर्गम है। सड़क मार्ग बहुत ही कठिन है क्योंकि पहाड़ी इलाका है। यहां अक्सर भूस्खलन होते रहता है। ऐसे में भारत से संबंध बिगड़ना नेपाल के लिए बहुत मुश्किल स्थिति का सामना करने की तरह है।