लखनऊ। बॉलीवुड एक्टर आमिर खान के असहिष्णुता वाले बयान के बाद एक बार फिर इस पर बहस शुरू हो गई है इस बीच बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि 1992 में उन्हें पहली बार इस बात का अहसास हुआ कि वह मुसलमान हैं जब हर कोई उनसे कहने लगा कि ओह-आप तो मुस्लिम हैं।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में चल रहे लिटरेचर कार्निवल में शिरकत करने पहुंची शबाना आजमी ने कहा कि हमारे देश में मजहब को पहचान बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह भारत की पहचान नहीं है। गौरतलब है कि शबाना ने कुछ दिन पहले भी कहा था कि देश में असहिष्‍णुता बढ़ रही है।

जब शबाना से सवाल किया गया कि उन्हें पांच राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं तो क्या वह भी अवॉर्ड वापसी की मुहिम में शामिल होंगी। इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मेरे पिता कैफी आजमी ने बहुत साल पहले पद्मश्री वापस कर दिया था। जब यूपी में उर्दू को दूसरी भाषा के तौर पर रखने की मांग हुई थी तो एक नेता ने कहा था कि ऐसी मांग रखने वालों को गधे पर उल्टा बिठा मुंह काला करके घुमाना चाहिए। उन्‍होंने उसी बात के विरोध में अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया था।

उन्होंने कहा कि असहिष्‍णुता को खत्‍म नहीं किया जा सकता है, लेकिन जब यह लॉ एंड ऑर्डर की समस्‍या बन जाए, तब सरकार को कदम उठाने चाहिए। शबाना ने कहा कि सरकार कितनी गंभीर है इसका पता इसी बात से चलता है कि उसने हालात को किस तरीके से संभाला। उन्होंने कहा कि हमारे देश गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। मिलीजुली संस्कृति ही हमारी ताकत है। इसे बचाए रखना देश को बचाए रखने जैसा है। कश्मीर का जिक्र करते हुए उन्होंने काह कि कश्मीरी हिंदू और कश्मीर के मुसलमानों की मिसाल देखिए। उनके मजहब अलग हैं, लेकिन दोनों के कल्चर एक हैं। कश्मीर का मुसलमान अपने आपको तमिलनाडू के मुसलमान से कल्चर के बेस पर अलग पाता है लेकिन कश्मीरी हिंदू के करीब। यही हमारे इंडिया की खूबसूरती है।