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संविधान में सुधार की भी जरूरत : अरुण जेटली

नई दिल्‍ली: राज्‍यसभा में संविधान पर अपना मत रखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर को देश में केवल संविधान निर्माता के रूप में ही नहीं जाना जाता, बल्कि एक समाज सुधारक के रूप में भी उनका योगदान रहा। समाज में अन्‍याय के खिलाफ डॉ. अंबेडकर लड़े और देश को आगे बढ़ने का रास्‍ता भी उन्‍होंने बताया। बहुत कम वक्‍त में संविधान निर्माता समिति ने अपना काम पूरा किया। संविधान द्वारा देश में लोकतांत्रिक मूल्‍यों की स्‍थापना हुई।’

जेटली ने कहा, ‘वर्ष 1947 में हुए बंटवारे के बाद हमारा देश मजबूत होता गया, लेकिन पड़ोस में (पाकिस्‍तान में) ऐसी स्थिति नहीं थी। संविधान की वजह से ही हमारा लोकतंत्र मजबूत हुआ। संविधान के कारण हमारा चुनाव आयोग और न्‍यायपालिका स्‍वतंत्र हैं।’ उन्‍होंने कहा, ‘श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी का भी संविधान बनाने में योगदान रहा। संविधान की मूल ताकत मौलिक अधिकार हैं, जो संविधान निर्माताओं ने हमें दिए।’

जेटली ने आगे कहा, ‘संविधान में सुधार की भी जरूरत है। इमरजेंसी में लोगों का अधिकार छीना गया। सबसे बड़ा अधिकार जीने का है। संविधान में बदलाव कर जीने का अधिकार सु‍रक्षित हुआ। आज टीवी स्‍क्रीन पर कोई शख्‍स गैरजिम्‍मेदाराना बयान भी दे दे तो उसे असहिष्‍णुता मान लिया जाता है।’

उन्‍होंने कहा, ‘विधायिका और न्‍यायापालिका में तालमेल जरूरी है। तालमेल गड़बड़ होने पर संविधान को नुकसान होता है। न्‍यायपालिका में आज जो हो रहा है वह संविधान के उलट है। अब आर्टिकल 21 को सस्‍पेंड नहीं किया जा सकता।’

उन्‍होंने जजों की नियुक्ति प्रकिया (कॉलेजियम सिस्‍टम) पर निशाना साधते हुए इसे डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। न्‍यायपालिका की तरह ही संसद भी संविधान का अहम हिस्‍सा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि ’70 के दशक में देश ने तानाशाही को देखा।’ साथ ही वित्‍त मंत्री ने कहा, ‘अनुच्‍छेद 376 का काफी गलत इस्‍तेमाल हुआ है।’

उन्‍होंने कहा, ‘इस वक्‍त दुनिया में सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है, जिसका हमें सामना करना है। कई बार वोट की राजनीति के लिए किसकी कितनी निंदा की जाए, हम इसमें संकोच करते हैं। जब देश पर संकट हो तो सभी को एक साथ आना होगा। सरकार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती। आतंकवाद के खिलाफ जंग में हम और कांग्रेस एक साथ हैं।’

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