नई दिल्ली: बीसीसीआई ने अपना घर साफ़ करने की कोशिश तेज़ कर दी हैं। हितों के टकराव के मामले पर अधिकारियों पर नकेल कसने के बाद अब बोर्ड ने पूर्व क्रिकेटरों और मौजूदा क्रिकेटरों के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए हैं। बीसीसीआई 9 नवंबर को इस बारे में जानकारी दी थी और अब अपने वेबसाइट पर इस फरमान का पूरा ब्योरा दिया है।

नए नियमों के अनुसार  :

– जो पूर्व खिलाड़ी बोर्ड से अनुबंधित है उनसे वेतन लेते हैं वो किसी कमेटी की हिस्सा नहीं हो सकते।

– मैच रेफ़री, किसी टीम का कोच या चयनकर्चा बनने से पहले खिलाड़ी का क्रिकेट से संन्यास अनिवार्य है।

– किसी टीम का कोच या चयनकर्चा बनने वाला पूर्व खिलाड़ी प्राइवेट कोचिंग अकादमी नहीं चला सकता।

– बोर्ड से जुड़ने वाला पूर्व खिलाड़ी का किसी प्लेयर मैनेजमेंट कंपनी का हिस्सा नहीं हो सकता।

– किसी टीम के कोच या चयनकर्ता का मीडिया कंपनी के साथ कोई करार नहीं होना चाहिए।

– बोर्ड में पदाधिकारी रहते हुए कोई पूर्व खिलाड़ी राष्ट्रीय चयनकर्ता नहीं बन सकता।

इन नियमों के मुताबिक, सचिन तेंदुलकर जो मुंबई इंडियंस के मेंटोर है वो बोर्ड की क्रिकेट सलाहकार समिति में नहीं रह सकते। सौरभ गांगुली CAB के अध्यक्ष होते हुए, कोचिंग अकादमी नहीं चला सकते, IPL गवर्निंग काउंसिल में नहीं बने रह सकते। ऐसे ही कुछ सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़, वीवीएस   लक्ष्मण के मामले में भी है। मगर सवाल ये है कि इससे क्रिकेट को फ़ायदा होगा या नुकसान, बोर्ड और उससे जुड़ी स्टेट असोसिएशन में ज़्यादातर पद मानद हैं। इन पद पर कार्य करने के लिए पूर्व क्रिकेटरों को तनख़्वाह नहीं मिलती। ऐसे में ये नियम उन्हें क्रिकेट प्रशासन में आने से हतोत्साहित करेंगे।

नए कानून के शिकंजे में जहां पूर्व क्रिकेटर आए हैं, वहीं मौजूदा क्रिकेट भी इससे अछूते नहीं हैं :

-मौजूदा क्रिकेटर की अब किसी प्लेयर मैनेजमेंट कंपनी में हिस्सेदारी नहीं हो सकती

-बोर्ड से जुड़ी किसी व्यवसायिक कंपनी में खिलाड़ी पदाधिकारी नहीं हो सकता

-सपोर्ट स्टाफ़ का कोई सदस्य टीम के खिलाड़ी के साथ कोई व्यावसायिक करार नहीं कर सकता

-टीम के खिलाड़ी आपस में भी कोई व्यवसायिक करार नहीं रख सकते

इतना ही नहीं, खिलाड़ी अपने नज़दीकी रिश्तेदारों के नाम पर भी अब ऐसा नहीं कर सकेंगे। टीम के मौजूदा कप्तान विराट कोहली पर इसका सबसे बड़ा असर पड़ेगा। इन नए कानून का पालन करने के लिए बोर्ड ने क्रिकेटरों को कोई  डेडलाइन नहीं दी है। मगर इतना ज़रूर है कि अगर किसी ने बोर्ड के लोकपाल को शिकायत की तो फिर कानून अपना काम करेगा।