नई दिल्‍ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि राम मंदिर के निर्माण का संकल्प पूरा होगा। भागवत विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता रहे अशोक सिंघल के लिए आयोजित एक शोक सभा में बोल रहे थे। भागवत ने कहा कि अशोक सिंघल के सपने को पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए।

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता रहे अशोक सिंघल के लिए आयोजित एक शोक सभा के दौरान रविवार को संघ परिवार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा उठाया। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस बाबत हिंदुत्ववादी नेता के सपने को पूरा करने के लिए ‘गंभीर प्रयास’ करना चाहिए।

सिंघल को श्रद्धांजलि देते हुए भागवत ने इस महीने की शुरुआत में उनसे हुई आखिरी मुलाकात को याद करते हुए कहा कि वह दो चीजें पूरी करना चाहते थे- राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और वेदों का प्रसार। इन लक्ष्यों की दिशा में निष्ठापूर्ण कार्य करने से इन्हें पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरी मुलाकात के दौरान अशोकजी ने अपने दो प्रण साझा किए थे- एक तो राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और दूसरा विश्व में वैदिक ज्ञान का प्रसार। अगर हमें अशोकजी के प्रण को साकार करना है तो हमें आज संकल्प लेना होगा कि हम उनके प्रण को अपना प्रण बनाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि हमें राम मंदिर का निर्माण पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे और उनके लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अशोकजी की भावना इस कार्य में हमारा मार्गदर्शन करेगी। हमें अशोकजी के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना और काम करना है और आगामी सालों में हमें उम्मीद है कि हम राम मंदिर निर्माण का उनका सपना पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। आरएसएस सुप्रीमो ने कहा कि सिंघल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे साथ हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी सिंघल से अपने 60 साल के संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह पूरी दुनिया में वैदिक मूल्यों के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि राम और भरत एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि सिंघल कभी भी बांटने वाले नहीं बल्कि जोड़ने वाले व्यक्ति थे।

उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल के निधन को हिंदू समाज के लिए गहरे शोक का विषय और अपूरणीय क्षति करार देते हुए कहा था कि इस समाज ने एक संघर्षशील और जुझारू नेतृत्व को खो दिया।