पटना:  महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार ने पांचवी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उन्हें राज्यपाल रामनाथ कोविद ने गांधी मैदान में शपथ दिलाया. नीतीश कुमार का यह शपथ ग्रहण पूर्व के शपथ ग्रहण से कई मायनों में अलग है. सादगी पसंद व तड़क-भड़क से दूर रहने वाले नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह की व्यापक तैयारी की गयी थी और इसमें देश भर के नेताओं के प्रमुख नेताओं को न्योता दिया गया है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह शपथ ग्रहण समारोह नरेंद्र मोदी विरोधी राजनीतिक ताकतों का जुटान व शक्तिप्रदर्शन का माध्यम बन गया है. इस शपथ ग्रहण समारोह को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता का पहला अहम पड़ाव माना जा रहा है.

नीतीश कुमार के बाद दूसरे नंबर पर तेजस्वी यादव ने शपथ ग्रहण किया. उनके बाद बड़े बेटे तेज प्रताप व राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने शपथ ग्रहण किया. लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप शपथ ग्रहण में दो बार अटके और राज्यपाल ने उन्हें सही कराया. उन्होंने अपने अपेक्षित का उच्चारण उपेक्षित शब्द के रूप में किया था. 

सिद्दीकी के बाद जदयू कोटे से विजेंद्र प्रसाद यादव व राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने शपथ ग्रहण किया. लल्लन सिंह के बाद श्रवण कुमार ने मंत्री पद का शपथ ग्रहण किया. वे जदयू के वरीय नेता हैं. श्रवण कुमार के बाद जयकुमार सिंह ने मंत्री पद का शपथ ग्रहण किया.श्रवण कुमार के बाद जयकुमार सिंह ने मंत्री पद का शपथ ग्रहण किया. वे भी जदयू कोटे से हैं. पिछले कैबिनेट में भी उन्हें जगह मिली थी. उन्होंने दिनारा में भाजपा के कद्दावर नेता राजेंद्र सिंह को हराया है. उनके बाद आलोक कुमार मेहता ने शपथ ग्रहण किया. आलोक कुमार मेहता सांसद भी रह चुके हैं. वे राजद कोटे से हैं. मेहता के बाद चंद्रिका राय ने मंत्री पद की शपथ ली.  वे राजद कोटे से हैं. राय के बाद अवधेश कुमार सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली. वे कांग्रेस के विधायक हैं. वे वजीरगंज से बड़े अंतर से जीते हैं.

अवधेश कुमार सिंह के बाद कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा शपथ ग्रहण किया. 65 साल के वर्मा ने घोसी में हम प्रत्याशी को 63 हजार मतों से इस चुनाव में हराया था. उनके बाद महेश्वर हजारी ने मंत्री पद का शपथ लिया.

अवधेश कुमार सिंह के बाद कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा शपथ ग्रहण किया. 65 साल के वर्मा ने घोसी में हम प्रत्याशी को 63 हजार मतों से इस चुनाव में हराया था. उनके बाद महेश्वर हजारी ने मंत्री पद का शपथ लिया. हजारी ने रामविलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज को चुनाव हराया है. उनका जन्म नौ अक्तूबर 1971 को हुआ था. उनके पिता रामेश्वर हजारी आठ बार बिहार के विधायक रहे थे. उनके बाद अब्दुल जलील मस्तान ने शपथ ग्रहण किया. मस्तान ने अमौर में भाजपा प्रत्याशी सबा जफर को एक लाख 135 वोटों से हराया था. वे कांग्रेस के विधायक हैं.

उनके बाद रामविचार राय ने शपथ ग्रहण किया. उन्होंने साहेबगंज से भाजपा उम्मीदवार को हराया है. उनके बाद शिवचंद्र राम ने शपथ ग्रहण किया. उनके बाद कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य डॉ मदन मोहन झा ने मंत्री पद का शपथ ग्रहण किया. उन्हें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की पसंद माना जाता है.

डॉ झा के बाद जदयू के जमालपुर से विधायक शैलेश कुमार ने मंत्री पद का शपथ ग्रहण किया. उन्होंने जमालपुर में लोजपा प्रत्याशी हिमांशु कुंवर को हराया है. वे नीतीश कुमार की पसंद हैं. उनके बाद कुमारी मंजू वर्मा ने मंत्री पद का शपथ ग्रहण किया. वे जदयू की हैं. उन्होंने चेरिया बरियारपुर से चुनाव जीता है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी का नाम मंत्री पद की शपथ के लिए पुकारा गया था. पर, वे अनुपलब्ध थे. उनका नाम राजीव रंजन सिंह के बाद पुकारा गया था. उनकी अनुपलब्धता पर तुरंत श्रवण कुमार का नाम पुकारा गया.

नीतीश कुमार ने ट्वीट कर अपने शपथ ग्रहण में नेताओं व लोगों को शामिल होने पर धन्यवाद दिया है. कार्यक्रम में नीतीश कुमार के बेटे निशांत व उनके परिवार के लोग भी पहुंचे हैं. 

शपथ ग्रहण समारोह के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्री और बड़े नेताओं को न्योता दिया गया, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, फारुख अब्दुल्ला, राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी के नाम शामिल हैं। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर दो केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू और राजीव प्रताप रूडी को न्योता दिया गया।

अखिलेश यादव इस समारोह में नहीं पहुंचे। बताया जा रहा है कि वह दो दिन बाद सैफई में मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन की तैयारियों में व्यस्त हैं।

इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन को 178 सीटें मिली थीं, जिसमें 80 आरजेडी, जेडीयू के 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली हैं।

शपथग्रहण समारोह को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। गांधी मैदान में 40 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे और 30 डिप्टी एसपी समेत करीब 2 हज़ार पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।