नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बीच इसकी जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बना दी है। वहीं भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच जारी टेस्ट सीरीज के चौथे मैच पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। गौरतलब है कि चौथा टेस्ट दिल्‍ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर 3 दिसंबर से खेला जाना है, लेकिन यह नए विवाद में घिर गया है। दरअसल दिल्ली सरकार और डीडीसीए के बीच जारी टैक्स विवाद गहरा गया है। दिल्ली सरकार का कहना है कि टैक्स चुकाने पर ही मैच की अनुमति दी जाएगी।  

दिल्ली सरकार ने डीडीसीए की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बना दी है। यह कमेटी 48 घंटे में अपनी रिपोर्ट देगी।

दिल्ली सरकार का कहना है कि डीडीसीए पर करोड़ों का मनोरंजन टैक्स बकाया है। ऐसे में जब तक टैक्स नहीं चुकाया जाता, तब तक मैच की मंजूरी नहीं दी जाएगी। गौरतलब है कि अक्टूबर में दिल्ली सरकार ने डीडीसीए को 24.45 करोड़ रुपए का मनोरंजन टैक्स चुकाने का आदेश दिया था। यह आदेश दिल्ली एंटरटेनमेंट्स एंड बेटिंग टैक्स एक्ट, 1996 के तहत जारी किया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक तंगी से जूझ रहा डीडीसीए केवल एक करोड़ का एडवांस टैक्स ही दे सकता है और बकाया टैक्स टेस्ट मैच के बाद देगा। इस बीच खबर है कि डीडीसीए ने अपनी तीन साल की बैलेंस शीट BCCI को भेज दी है। यदि इसे मंजूरी मिल जाती है, तो संघ को बोर्ड ग्रांट के अपने हिस्से के रूप में लगभग 30 करोड़ मिल जाएंगे।

डीडीसीए ने भारत-दक्षिण अफ्रीका टेस्ट मैच के लिए दिल्ली सरकार से जरूरी अनुमति देने के लिए संपर्क किया है, लेकिन सरकार ने बकाया टैक्स को देखते हुए अनुमति देने से मना कर दिया।

इस बीच BCCI ने डीडीसीए को चेतावनी दी है कि यदि उसे सरकार की मंजूरी नहीं मिलती है, तो मैच को पुणे शिफ्ट कर दिया जाएगा। ऐसे में डीडीसीए को यह विवाद जल्दी सुलझाना होगा, क्योंकि BCCI ने उसे विवाद सुलझाने के लिए 17 नवंबर की डेडलाइन दी है।

दिल्ली के कैप्टन गौतम गंभीर ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करके डीडीसीए की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। ऐसा नहीं है कि डीडीसीए पहली बार विवादों में है। इससे पहले भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच टी-20 सीरीज से पहले का अभ्यास मैच भी कोटला से पालम शिफ्ट कर दिया गया था। इस पर डीडीसीए के वाइस-प्रेसीडेंट चेतन चौहान ने कहा था कि इसका मुख्य कारण सरकारी विभागों से आवश्यक मंजूरी नहीं मिलना रहा। इसके साथ ही संघ में जारी आंतरिक गतिरोध भी इसके लिए जिम्मेदार रहा।