अटल-आडवाणी केसमय भी हारती थी बीजेपी 

नई दिल्ली: अपने बुजुर्ग नेताओं द्वारा बीजेपी नेतृत्व पर किए गए हमले के बचाव में आते हुए पार्टी ने मंगलवार रात एक बार फिर गेंद उन्हीं के पाले में डालने की कोशिश करते हुए कहा कि चुनावों में हार और जीत की सामूहिक जिम्मेदारी लेने की ‘स्वस्थ परंपरा’ अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने ही शुरू की थी।

बीजेपी ने यह भी कहा कि वह अपने ‘वरिष्ठ नेताओं’ के मार्गदर्शनों एवं सुझावों का निश्चित तौर पर स्वागत करेगी। पार्टी ने यह बयान उस वक्त दिया जब कुछ ही देर पहले आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका।

तीन केंद्रीय मंत्रियों – राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू और नितिन गडकरी (तीनों बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं) की ओर से संयुक्त बयान जारी कर बीजेपी ने प्रतिक्रिया जाहिर की।

बयान के मुताबिक, पार्टी सौभाग्यशाली रही है कि अटल बिहारी वाजपेयी एवं लालकृष्ण आडवाणी ने दशकों तक इसकी अगुवाई की। उन्होंने चुनावों में जीत और हार पर सामूहिक जिम्मेदारी लेने की स्वस्थ परंपरा शुरू की थी। बयान में कहा गया, पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शनों एवं सुझावों का निश्चित तौर पर स्वागत करेगी।

बीजेपी संसदीय बोर्ड की सोमवार को हुई बैठक में बिहार चुनाव के नतीजों पर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए बयान में कहा गया कि पार्टी वरिष्ठ नेताओं सहित कई अन्य मंचों पर इस पर चर्चा करेगी और उन कमियों को दूर करने का प्रयास करेगी, जिससे राज्य में इतनी प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न हुई। बयान में कहा गया कि निश्चित तौर पर पार्टी के सभी सदस्य बिहार चुनाव के नतीजों पर चिंतित हैं। कई अन्य चुनावों में पार्टी को मिली सफलता की बातों का भी जिक्र बयान में किया गया।

बयान के मुताबिक, ‘श्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पिछले साल लोकसभा चुनावों में पार्टी को जीत मिली। इसके बाद झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में पार्टी को सफलता मिली।’ हाल ही में हमने कर्नाटक, महाराष्ट्र, अंडमान, केरल और असम में स्थानीय चुनाव जीते हैं। दिल्ली और बिहार के नतीजे हमारे खिलाफ गए हैं।