नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार की समीक्षा के लिए भारतीय जनता पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक सोमवार को दिल्ली में हुई। इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बैठक में हार के कारणों की समीक्षा हुई। उन्होंने कहा बिहार विधानसभा में राजग की हार महागठबंधन की एकजुटता के कारण हुई।

नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पर हो रही बैठक में पीएम सहित, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू शामिल हुए।

संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, ‘संसदीय बोर्ड की बैठक में बिहार चुनाव के नतीजों की समीक्षा हुई। बिहार चुनाव के नतीजों का हम सम्मान करते हैं।’ जेटली ने कहा कि बिहार चुनाव में मिली हार केंद्र की सरकार पर जनमत संग्रह नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल एक बयान से जीत-हार नहीं होती।

उन्होंने कहा, ‘बिहार में एक प्रमुख चुनाव था जिसमें मिले जनादेश को हम स्वीकार करते हैं। बैठक में हार का विश्लेषण हुआ है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के तीनों घटक आरजेडी, जद-यू और कांग्रेस पार्टी अलग-अलग से चुनाव लड़े। लोकसभा के चुनाव में हमें 38.8 प्रतिशत वोट मिला और सामूहिक रूप से महागठबंधन के घटकों को 45.3 प्रतिशत वोट मिला। हमें लगा कि महागठबंधन के घटक दल अपना वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर नहीं कर पाएंगे लेकिन हमारा अनुमान गलत निकला।’ जेटली ने कहा, ‘हमारे मुकाबले महागठबंधन का वोट ट्रांसफर अच्छे ढंग से हुआ। यह हमारी हार का एक बड़ा कारण था।’

गौरतलब है कि बिहार के कुछ नेताओं ने हार के लिए आरएसए प्रमुख मोहन भागवत को जिम्मेदार ठहराया है। हुकुमदेव नारायण यादव, अश्विनी चौबे का मानना है कि आरक्षण पर दिए गए मोहन भागवत के बयान से पार्टी को नुकसान हुआ। इसके अलावा मुख्यमंत्री का उम्मीदवार न घोषित किए जाने से नीतीश कुमार को फायदा हुआ।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। समझा जाता है कि बैठक के दौरान शाह ने अन्य बातों के अलावा भागवत के साथ बिहार चुनाव परिणामों के बारे में चर्चा की।

उल्लेखनीय है कि भागवत ने अपने बयान में आरक्षण नीति की समीक्षा करने की बात कही थी जिसे चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन के नेताओं ने पिछड़े वर्ग के लोगों को अपने साथ एकजुट करने के लिए खूब भुनाया और आरोप लगाया कि भाजपा इसे कमजोर बना रही है। दिल्ली में पराजय के बाद यह पार्टी की लगातार दूसरी हार है।