दारूल उलूम निजामिया फंरगी महल में यौमे उर्दू मनाया गया

लखनऊ: उर्दू एक ऐसी  जबान है जो अपनी मिठास और बहुत सी विशेषताओं के जरिए हर एक के दिल में अपनी जगह बना लेती है। यह जबान अब अपने राष्ट्रीय दायरे से निकल कर पूरी दुनिया की जबान बन चुकी है। इसका सुबूत पूरी दुनिया में आबाद उर्दू बस्तियाँ है। आज उस प्रख्यात शायर को याद किया जा रहा है कि जिसने उर्दू के दामन को अपनी शायरी से भर दिया। वह अपनी उर्दू शायरी की वजह से मीर, गालिब और दाग के बराबर हैं। 

इन विचारों को इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली नाजिम दारूल उलूम फरंगी महल नेें किया वह आज ‘‘उर्दू दिवस के अवसर पर सेमिनार को सम्बोधित कर रहे थे। मौलाना ने अल्लामा इकबाल को उनके जन्म दिवस पर श्रृद्धांजलि अर्पिक करते हुए कहा कि उन्हें शायरे इस्लाम और शायरे मश्रिक का नाम दिया गया। वह आज भी उर्दू वालों के दिलों में बस्ते हैं।

मौलाना ने कहा कि अल्लामा इक़बाल ने तराना और बहुत सी नजमें लिखीं। उन्होने इस पयारे देश के लिए ‘‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ताँ हमारा’’ जैसा राष्ट्रीयगीत लिखा। इकबाल ने ‘‘हिन्दुस्तानी बच्चों का कौमी गीत ‘‘राम’’, ‘‘नया शिवाला’’ जैसी कविता लिखकर हिन्दू मस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। मौलाना ने उर्दू की उन्नित और सुरक्षा के लिए माता पिता और अभिभवकों से अपील की कि वह अपने बच्चों को उर्दू की शिक्षा के लिए कम से कम आधा घण्टा जरूर दें।

मोलाना ने उ0 प्र0 के मुख्य मंत्री मि0 अखिलेश यादव को पत्र लिख कर माँग की कि उर्दू की रक्षा और इसकी उन्नति के लिए हर वर्ष 09 नवम्बर को सरकारी स्तर पर ‘‘उर्दू दिवस’’ का एहतिमाम करने के आदेश दें।

मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी प्रधानाचार्य दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल ने सेमिनार में उर्दू जबान पर अपना लेख पढ़ा। उन्होने कहा कि किसी भी जबान की रक्षा की जिम्मेदार जितनी सरकार की होती हैं उससे कहीं ज्यादा आम आदमी की होती है।  सेमिनार को मौलाना मुहम्मद मुश्ताक और मौलाना मुहम्मद सुफयान निजामी ने भी सम्बोधित किया।