शिक्षामित्रों की नियुक्ति का मामला बाद में देखेगा सुप्रीम कोर्ट  

नई दिल्ली: हाईकोर्ट के आदेश पर हटाए गए 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को वह बाद में देखेगा क्योंकि इसमें अभी विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की जा रही हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि योग्य उम्मीदवारों जिनके टीईटी  में 70 फीसदी या उससे ज्यादा अंक हैं उन्हें शिक्षक के रूप में नियुक्त करे। 

जस्टिस दीपक मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने यह आदेश सोमवार को दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह बताए कि प्रदेश में कुल कितने शिक्षक नियुक्त हुए और कितनी रिक्तियां बाकी हैं। सरकार ने 72,825 शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला था जिसमें अब तक 43,077 की नियुक्ति कर दी है। कुछ शिक्षक अभी प्रशिक्षण ले रहे हैं।

कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वह टीईटी में योग्यता अंक रखने वाले उम्मीदवारों से आवेदन ले। कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा सचिव यह आवेदन लेंगे और तीन हफ्तों में उन्हें नियुक्त करने पर फैसला लेंगे। कोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब वकीलों ने कहा कि योग्य उम्मीदवारों को भी सरकार नियुक्त नहीं कर रही है जबकि कई हजार रिक्तियां बाकी हैं। 

कोर्ट ने रिक्तियों की स्थिति में योग्यता मानदंडों के घटाने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया और कहा कि इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। शिक्षामित्रों के मामले में पीठ ने कहा कि इस पर सुनवाई की जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुल बेंच ने 12 सितंबर को एक फैसला देकर शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक पद के योग्य न पाकर उनकी नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। 

इन शिक्षामित्रों की शिकायत टीईटी पास उम्मीदवारों ने की थी कि सरकार अयोग्य लोगों को सहायक शिक्षक नियुक्त कर रही है जबकि योग्य उम्मीदवार धक्के खा रहे हैं। उनकी शिकायत के  बाद सुप्रीम कोर्ट जुलाई में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से विशेष बेंच बनाकर शिक्षामित्रों के मामले को निपटाने को आग्रह किया था। हटाए गए शिक्षामित्रों और यूपी सरकार ने इस फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है। मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।