नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फिर देश के बहुलतावादी चरित्र के संरक्षण की बात करते हुए कहा कि भारत अपनी समावेशी और सहिष्णुता की शक्ति के कारण फला-फूला है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक अरब 30 लाख लोग रहते हैं, 122 भाषाएं बोली जाती हैं और लोग कई धर्मों का पालन करते हैं। देश की इस विविधता का संरक्षण होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारा देश समावेशी शाक्ति और सहिष्णुता के कारण फला-फूला है। हमारे बहुलतावादी चरित्र ने समय की कई परीक्षाएं पास की हैं। हमारी पुरातन सभ्यता ने सदियों से हमारी विविधता को समाहित किया हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘बहुलतावाद हमारी सामूहिक शक्ति है, जिसे किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए। हमारे संविधान के विभिन्न प्रावधानों में इसकी झलक मिलती है।’

दादरी और उसके बाद हुई वैसी ही घटनाओं की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति ने सवाल किया कि असहमति की स्वीकार्यता और उस पर सहिष्णुता देश में इतनी कम हो गई है। उन्होंने 19 अक्तूबर को पश्चिम बंगाल के सूरी कस्बे में अपने गृहनगर में यह सवाल किया था। इसके बाद उन्होंने लोगों से सहिष्णु बनने और असहमति का सम्मान करते हुए विविधताओं को स्वीकार करने की अपील की थी।