लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने पीपीपी मोड पर अस्पतालों को चलाने की कवायद को अखिलेश सरकार की अपने चहेतो को पुरस्कृत करने की योजना बताया। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि अस्पतालों को चलाने के लिए डाक्टर न मिल पाने की बात कहने वाली सरकार यह तो बताये कि आखिर जब सरकार को डाक्टर नहीं मिल पा रहे है तो उन्ही अस्पतालों को चलाने के लिए निजी लोगो को कहा से डाक्टर मिल जायेगे। पीपीपी माडल परियोजनाओं को सुविधानुसार भ्रष्टाचार का अड्डा बताने वाले यह तो बताये कि अगरा, लखनऊ एक्सप्रेस हाइवे को पीपीपी मोड से हटाकर सरकार ने क्यों बनाने का फैसला लिया। उन्होंने कहा मुफ्ती दवाई का दावा करने वाले लोग अब 49 जिलो के जच्चा-बच्चा अस्पताल को निजी क्षेत्र में देने की योजना बना रहे है आखिर क्यों ?

मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि 50 जिलों में 100-100 बेड के बने अस्पतालों में कानपुर को छोड़कर शेष 49 को पीपीपी मोड मंे चलाने का फैसला लेने वाली सरकार अपने-अपनों को लाभ पहुचाने के लिए कुर्तक गढ़ रही हैं। सरकार दावे कर रही है कि तमाम कोशिशांे के बावजूद प्रदेश सरकार को स्त्री रोग विशेषज्ञ एनेस्थीसिया व विशेषज्ञ डाक्टर नहीं मिल पा रहे है जिसके कारण सरकार इन अस्पतालों को पीपीपी मोड पर चलाने का निर्णय लिया जा रहा है। जब सरकार को डाक्टर नहीं मिल रहे है तो निजी निवेशक कहां से डाक्टर ले आयेगे। एक तरफ राज्य में डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की नौकरियों की आशा में विज्ञापन की बांट जोह रहे राज्य के बेरोजगार नौजवान, दूसरी ओर सरकार का बेमानी तर्क समय से परे है।

उन्होंने कहा कि एक तरफ मुफ्ती दवाई और सभी को स्वास्थ्य उपलब्ध कराये जाने के बड़े-बड़े दावे है दूसरी ओर हकीकत ये है कि राजधानी के अस्पतालों में आमजन दवा के लिए मारा-मारा फिर रहा है। कई जगहो पर तो जांच पैथोलाॅजी निजी हाथों में सौंप दी गयी है। स्वास्थ्य सेवाओं पर उठ रहे सवालों के मद्देनजर निर्णय लिया गया कि रिटायर्ड चिकित्सकों की सेवायें ले स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाये। किन्तु नतीजे घोषणाओं तक की सिमटकर रहे गये सेवा निवृत्त डाक्टरों की सेवायें लेने का मामला कागजी साबित हुआ। राज्य सरकार की नीतियों के कारण जहां एक ओर प्रदेश में मरीज हलकान है वहीं डाक्टर घुटन महसूस कर रहे है। डाक्टर की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।

श्री पाठक ने कहा कि पीपीपी मोड के नाम अपनो को इन अस्पतालों को सौंपने की कवायद की बजाय बेहतर होता अखिलेश सरकार योजना बनाती कि इन अस्पतालों के बनने के बाद नये पदों का सृजन होगा, तैनाती होती, लोगो को रोजगार मिलता, आमजन को सस्ती और सुलभ चिकित्सा मिलती किन्तु अधिकारी नेता गठजोड़ के इस तंत्र ने एक बार फिर अपनों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से योजनाऐं बनानी शुरू की है।