नई दिल्ली: हाल ही में एफडीआई प्रवाह में तेजी के बावजूद ‘सकल एफडीआई प्रवाह’ के मामले में भारत चीन से पीछे है और ज्यादातर विदेशी निवेश ई-कॉमर्स जैसे उपभोग वाले क्षेत्र में आ रहा है न कि विनिर्माण क्षेत्र में। एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है।

ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल की ताजा अनुसंधान रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में देश में एफडीआई प्रवाह में जो तेजी आई है, उससे सरकार के महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता दिख रहा।

‘‘हाल ही में मीडिया में यह खबर प्रकाशित हुई कि भारत एफडीआई प्रवाह के मामले में चीन और अमेरिका से आगे निकल गया। हालांकि समग्र आंकड़ों से पता चलता है कि एफडीआई प्रवाह घरेलू खपत के दोहन पर केन्द्रित रहा है न कि घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने पर। इससे आयात में बढ़ोतरी की संभावना बन सकती है।’’

ब्रिटेन के दैनिक अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में हाल ही में प्रकाशित एक लेख के संदर्भ में एमके ने कहा कि इस रिपोर्ट में यह दिखाने के लिए कि भारत ने एफडीआई प्रवाह में चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है, ‘एफडीआई मार्केट्स’ द्वारा एकत्र आंकड़ों का हवाला दिया। 2015 की पहली छमाही में एफडीआई प्रवाह 31 अरब डॉलर रहा।