लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, राम नाईक ने आज अलीगंज में नार्थ इण्डिया जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा मोहर्रम के जुलूस पर आधारित सातवीं अखिल भारतीय छायाचित्र एवं चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री खान मसूद अहमद, कुलपति ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ, नवाब मीर अब्दुल्लाह जाफर, प्रो0 साबिरा हबीब, श्री एस0एन0 लाल एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित बड़ी सख्या में श्रद्धालुजन व दर्शक उपस्थित थे।

राज्यपाल ने प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन एवं अवलोकन करते हुए कहा यह प्रदर्शनी इमाम हुसैन की कुर्बानी पर आधारित है जो इंसानियत का पैगाम देती है। आज मानव-मानव की हत्या कर रहा है। ऐसे में इमाम हुसैन की कुर्बानी एवं इस प्रदर्शनी का महत्व और भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि जिस श्रद्धा से प्रदर्शनी में कुर्बानी का महत्व पेश किया गया है वह अभिनन्दनीय है।

श्री नाईक ने कहा कि यह प्रदर्शनी लखनऊ की गंगा जमुनी तहजीब की पहचान है। कला की कोई जाति या भाषा नहीं होती। धर्म से परे होना ही कला की विशेषता है। प्रदर्शनी में सभी वर्गों एवं धर्मों के मानने वालों द्वारा तैयार किये गये छायाचित्र प्रदर्शित किये गये हैं। चित्र चाहे किसी मुस्लिम ने निकाला है या हिन्दू ने, दोनों में कुर्बानी का नजारा दिख रहा है। छायाकारों के लिए ऐसे चित्र लेना महत्व का कार्य है क्योंकि छायाकारों को चित्र लेने के लिए विशेष क्षण का इंतजार करना होता है। उन्होंने कहा कि चित्रकार कागज पर चित्र बनाने के लिए अपने विचार का सहारा लेता है। 

प्रो0 साबिरा हबीब ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए इमाम हुसैन की कुर्बानी पर प्रकाश डाला तथा कहा कि इस्लाम जंग नहीं कुर्बानी और इंसानियत का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है।

राज्यपाल ने इस अवसर पर राजेन्द्र कुमार, मोहम्मद हैदर रिजवी एडवोकेट, तपन मडंल, सोनिया सिंह को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए तथा कुएं में गिरी गाय को बचाने वाले मोहम्मद ज़की को अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।